विश्व पक्षी दिवस

"चलो आदमी से इन्सान बन जाएँ,

 बेजुबान पक्षियों की जान बचाएँ।"


"ये पर्वत, नदियाँ, प्रकृति और चारों तरफ चहचहाते हुये पक्षी, जिस दिन से सृष्टि का निर्माण हुआ है उस दिन से यह सब भी मनुष्य के साथी बने हुए हैं। प्रकृति के बगैर मनुष्य अधूरा है। सुबह हम सब जब भोर में उठते हैं तो चारों तरफ पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती है मानो कि कह रहे हों कि उठो सवेरा हो गया है। मुझे पक्षियों से बेहद प्रेम है।" आज विश्व पक्षी दिवस है। पक्षियों की अगर बात करें तो इन दिनों अप्रवासी पक्षियों का भी जगह-जगह जमावड़ा लगा हुआ है। जहाँ बड़े-बड़े जलाशय बन जाते हैं वहाँ कोई ना कोई पक्षी इन दिनों देखने को मिल जाते हैं।


केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर और कीठम झील आगरा में विभिन्न देशों से आए हुए पंछीे देखने को मिल जाएँगे। मेरा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में सर्दियों में कई बार जाना हुआ है । वहाँ कई तरह के स्टार्क, बुलाक, श्रीलंका का राष्ट्रीय पक्षी और भी कई तरीके के पक्षी देखने को मिल जाते हैं और हमारे यहाँ भी पक्षियों की कमी नहीं है। खेत जुताई के दौरान इन दिनों सैकड़ों बगुले बैठे रहते हैं मानो सफेद बर्फ पड़ी हो। पक्षी दिवस का मुख्य उद्देश्य पक्षियों को पालना उनका संरक्षण करना उनकी देखभाल करना है।


 हमारे देश में इन दिनों हमारी घरेलू गौरैया चिड़िया को बचाने की मुहिम चल रही है। वही गौरैया जो हमारे घर आँगन में फुदकती फिरती है और छप्पर में घर बनाकर रहती है। उसके प्राकृतिक आवास नष्ट हो गए हैं। गौरैया तो अभी बची हुई है लेकिन गिद्ध तो बिल्कुल ही विलुप्त हो गए हैं। हमें चाहिए है कि गर्मियों के दिनों में हम अपनी छतों पर पानी रखें। अपने आसपास पेड़-पौधे लगाएँ ताकि कुछ पक्षी उस पर आवास बना सकें। मैने भी कुछ पेड़ लगाये हैं। 


मनुष्य इतना व्यस्त हो गया है कि वह अपने आसपास प्रकृति का आनंद लेना ही भूल गया है। जब इंसान परेशान होता है यदि वह एक बार पक्षियों का चहचहाना प्रकृति इन सबको देखे तो उसको मानसिक सुकून प्राप्त होगा। इन सब का आनंद उठाने इंसान पहाड़ों पर जाता है। उसको कुछ मानसिक सुकून प्राप्त हो सके। इंसान प्रकृति से दूर नहीं रह सकता है क्योंकि प्रकृति से उसका पुराना नाता है। यह पंछी, नदियाँ, हवा सब कुछ गाते हैं और बताते हैं कि जीवन बहुत अमूल्य है। हमें भी इन सबकी तरह चलते चले जाना है उन अनजान रास्तों पर जो हमें खुद तलाशने हैं जैसे पक्षी निकल जाते हैं सुबह भोजन की तलाश में अनजाने सफर में  ............


स्वयं के विचार


लेखिका

शालिनी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय बनी, 

विकास खण्ड-अलीगंज,

जनपद-एटा।

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