उमंग

गंगा, यमुना में स्नान कर,

तन मन में भरें उमंग।

लाल, हरी, नीली, पीली,

अम्बर में उड़ाएँ पतंग।


सूर्य देव को करके नमन,

आशीष उनका पाएँ।

अपने उर को शीतल कर,

जीवन सरस बनाएँ।


दान पुण्य की परंपरा को,

आओ आगे बढ़ाएँ।

प्राचीन रीति रिवाजों को,

सम्मान सदा ही दिलाएँ।


मीठे-मीठे तिल के लड्डू,

और खिचड़ी बनाएँ।

श्रद्धा पूरित हो करके,

ईश्वर को भोग लगाएँ।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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