विश्व हिंदी दिवस

माँ जैसी ममतामयी,   

   पिता जैसा दुलार|

गुड़ जैसी मीठी लगे,

 मिश्री जैसी बहार||


रस में जैसे आम है,

 शक्कर जैसा घोल|

बहता है मीठा शहद,

 निकले जब यह बोल||


 खूब आशीष दें सदा,

 और लुटायें स्नेह|

फिर सुरक्षा ऐसी मिले,

 जैसे अपना गेह||


 हिंदी भाषा  जग अम्ब,

   सरल सहज है भाव|

 जब पढ़ने इसको लगे,

   बढ़ता जाए चाव||


 ये जग का सिरमौर है,

   हिंदी है अभिमान|

 तपोवन की भूमि लगे,

   संस्कार की खान||


रचयिता

संगीता गौतम जयाश्री,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,

विकास खण्ड-सरसौल,

जनपद-कानपुर नगर।

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