राष्ट्रीय मतदाता दिवस

हे मतदाता! भाग्य विधाता!!

हे मतदाता! भाग्य विधाता!!

भारत को दिव्य बनाओ तुम,

यह लोकतन्त्र का महामन्त्र है

मिलकर इसे सजाओ तुम।


शत-प्रतिशत मतदान हो सम्भव

मिलकर हम प्रयास करें,

जहाँ भी हों जैसे भी हों

कोशिश अपने आप करें

हे भारत के नौजवानों! 

हे भारत के नौजवानों!

जग में मान बढ़ाओ तुम।


यह लोकतन्त्र का महामन्त्र है.....


लोकतन्त्र का मूलमन्त्र है

सारे  मत को  एक करें,

जब भो हो मतदान देश में

सब मत का प्रयोग करें।

झुकता है जग सच है लेकिन...

झुकता है जग सच है लेकिन...

चार चाँद लगाओ तुम......


यह लोकतन्त्र का महामन्त्र है

मिलकर इसे बढ़ाओ तुम।


रचयिता
डॉ० प्रभुनाथ गुप्त 'विवश',
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बेलवा खुर्द, 
विकास खण्ड-लक्ष्मीपुर, 
जनपद-महराजगंज।

Comments

Total Pageviews