हिन्दी से है हिन्द हमारा

विधा - गीत

आधार - शंकर छन्द(16,10 पर यति,पदान्त - 21)


हिन्दी  से  है  हिन्द  हमारा, विश्व में  पहिचान।

भाषायी साहित्यों से भी, मिला अति सम्मान।।


हिन्दी भाषा   पढ़ें  पढ़ाएँ, करिए  सब  प्रचार।

इसकी   व्यापकता  हर्षाए, अन्तर्मन   विचार।।

तुम्हें  सम्हाले  खूब दुलारे, प्रगति का विज्ञान।

भाषायी साहित्यों से भी, मिला अति सम्मान।।


दूर करे  संशय  निज भाषा, व्यक्ति हो  सन्तुष्ट।

हर संवाद सहज विधि होता, निर्बल या बलिष्ट।।

समझ समझने  समझाने में, सदा यह आसान।

भाषायी  साहित्यों से भी, मिला अति सम्मान।।


रहिमन, सूर, निराला, दिनकर, प्रेमचन्द, कबीर।

भारतेन्दु,   भगवतीचरण जी, रांगेय,  रघुवीर।।

शिवमंगल, अज्ञेय, भवानी, धन्य कवि रसखान।

भाषायी साहित्यों से भी, मिला अति सम्मान।।


कार्यालय,   घर,   रिश्तेदारी, पर्यटन,   व्यापार।

हो  प्रयोग  हिन्दी  का  हरदम, बेधड़क अपार।।

अपनी हिन्दी विकसित करना, रहे अपनी शान।

भाषायी  साहित्यों से भी, मिला अति सम्मान।।


रचयिता

कवि सन्तोष कुमार 'माधव',

सहायक अध्यापक,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुरहा,

विकास खण्ड-कबरई,

जनपद-महोबा।



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