अपना प्यारा मुल्क

खुदा  सलामत अपना ये मुल्क प्यारा

इस चमन की खुशबू हो चार  सिम्त फैली

दिन रात लब पे अपने यही दुआ है रहती

ये ज्ञान की है गंगा शीरी है इसकी धारा

रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा।

ऋषि और मुनि की धरती ये सूफ़ियों की सरजमीं

फिजाओं में चन्दन है जर्रा है दिलनशी

इसपे सदा है हमने जान ओ जिगर वारा

रखे खुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा।

ज़ीरो का ज्ञान विश्व को हमने ही है दिया।

हमने ही है सिखाई ज्योतिष की विद्या

रौशन है रौशनी से इसके जहान सारा

रखे ख़ुदा सलामत अपना ये मुल्क प्यारा।।


रचयिता

कौसर जहाँ,
सहायक अध्यापक, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बड़गहन,
विकास क्षेत्र-पिपरौली,
जनपद-गोरखपुर।



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