श्री कृष्ण जन्माष्टमी

अधरों पर जिनकी मुरली शोभित

वह मेरे प्यारे गोपाल हैं

साँवली सूरत है उनकी बड़ी न्यारी

वह यशोदा के प्यारे नन्दलाल हैं।।


ग्वाल बाल संग गाय चराते

और मुरली मधुर बजाते हैं

गोपियों संग रास रचाते

नई-नई लीलाएँ दिखाते हैं।।


दुष्टों का संहार करने जगत में

नए-नए अवतार में आते हैं।

देते सदैव सत्य का साथ

और गीता का पाठ पढ़ाते हैं।।


अपने भक्तों के सारे कष्ट 

वह पल में हर लेते हैं

बरसाते हैं कृपा भक्तों पर

जीवन खुशियों से भर देते हैं।।


मोहिनी मूरत उनकी बड़ी भोली

सिर पर मोर मुकुट सजाते हैं

श्री कृष्ण का जन्म दिवस धूमधाम से

जन्माष्टमी के रूप में सभी मनाते हैं।।


रचनाकार

मृदुला वर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,

विकास खण्ड-अमरौधा,

जनपद-कानपुर देहात।

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