हरतालिका तीज

भगवान शिव, माता पार्वती को समर्पित है व्रत,

पति की लंबी उम्र के लिए होता है यह व्रत।

अविवाहित मनचाहे वर की प्राप्ति को करें,

सुहागिनों के लिए बहुत जरूरी है ये व्रत।।


भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाएँ,

सर्वप्रथम माता पार्वती इसकी विधि बताएँ।

गौरी गणेश का पूजन विशेष रूप से होता,

निर्जला व्रत करके इसकी पूर्णता को पाएँ।।


सूर्योदय से पूर्व उठकर करती हैं सोलह श्रृंगार,

केले के पत्ते का मंडप बनाकर भेंट करती हैं हार।

उत्तर प्रदेश और बिहार में रहती है उसकी धूम,

अगले दिन गणेश चतुर्थी का देखिए त्योहार।।


रात्रि जागरण भजन कीर्तन का है प्रावधान,

अगले दिन सुहागिन को श्रृंगारदान का विधान।

परम सौभाग्य माने है स्त्रियाँ ये व्रत करना,

व्रत में न रहे कभी कोई भी व्यवधान।।


पार्वती जी के समान सुख की है कामना,

सौभाग्य बना रहे यही है प्रार्थना।

पतिरमण करके शिवलोक गमन की है इच्छा,

शुद्ध हों विचार, प्रेम, सौहार्द की हो भावना।।


रचयिता

नम्रता श्रीवास्तव,

प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,

जनपद-बाँदा।


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