गजानन

विनती सुनो मेरी गौरा के लालन,

बिगड़ी बना दो मेरी गजानन।


दीखे ना मंजिल, सूझे ना रस्ता,

घोर अंधेरे छाए आहिस्ता।

राह दिखा दो गौरा के लालन,

बिगड़ी बना दो मेरी गजानन।

विनती सुनो........


लालच मन में, कभी भी ना आए,

प्रेम दया हर दिल में समाए।

दे दो वर ये गौरा के लालन,

बिगड़ी बना दो मेरी गजानन।

विनती सुनो.........


ये तन है तेरा, ये मन भी तेरा,

साँसों में बस तेरा बसेरा।

सदा रहना हृदय में गौरा के लालन,

बिगड़ी बना दो मेरी गजानन।

विनती सुनो.........


आए हैं जग में, कुछ करके जाएँ,

अपने देश का मान बढ़ाएँ।

दे दो ऐसी शक्ति गौरा के लालन,

बिगड़ी बना दो मेरी गजानन।

विनती सुनो.........


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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