कृष्ण अवतार

सजे हुए हैं, सब घर- द्वार।

होती देखो, अति जयकार।।

खुशी मनाता, सब परिवार। 

कान्हा लेगा, अब अवतार।। 


मेघ बरसते, हैं घनघोर। 

दिखे नहीं अब, कोई छोर।। 

रात अँधेरी, है चहुँओर। 

आने वाला, माखन चोर।। 


लिया कृष्ण ने, जब अवतार। 

गये सभी सो, पहरेदार।। 

मात यशोदा, करें पुकार। 

रक्षा करना, पालनहार।। 


वासुदेव ने, छोड़ा द्वार। 

चले सूप में, जग के सार।। 

पहुँचे यमुना, माँ के पार। 

खुशी नन्द को, मिली अपार।। 


छोड़ कृष्ण को, जाते आज।

तात हृदय के, बजे न साज।।

पुत्र सुरक्षित, सुंदर काज। 

छिपे कंस से, सारे राज।।


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।



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