४९१~ सुरेश सिंह डसीला (स०अ०) राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड, ब्लॉक- गंगोलीहाट, जनपद- पिथौरागढ़, राज्य- उत्तराखंड,
🏅अनमोल_रत्न🏅
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को :-
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👉1 - शिक्षक का परिचय :-
सुरेश सिंह डसीला (स०अ०)
राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड,
ब्लॉक- गंगोलीहाट, जनपद- पिथौरागढ़, राज्य- उत्तराखंड,
प्रथम नियुक्ति:- 07 अप्रैल 1997
वर्तमान विद्यालय में नियुक्त:- 15 अप्रैल- 2015
👉2- विद्यालय को उत्कृष्ट बनाने के प्रयास :
🔷️A- स्वयं के प्रयास:- हमारा विद्यालय जर्जर स्थित मैं था, इसलिए हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या ये थी कि मिस्त्री विद्यालय में छोटे-मोटे कार्य करने को तैयार नहीं हो रहे थे, ऐसे में मैंने विद्यालय की छुट्टी के बाद सबसे पहले स्वयं अपने हाथों से विद्यालय एवं शौचालय के टूटे दरवाजे और खिड़कियों की मरम्मत की। लाइट फिटिंग की मुझे अच्छी जानकारी है, इसलिए मैंने विद्यालय की खराब व टूटी-फूटी विद्युत लाइन को स्वयं ठीक किया। मैंने बच्चों का सहयोग लेकर विद्यालय प्रांगण को समतल एवं गड्ढा मुक्त किया, साथ ही बच्चों के सहयोग से विद्यालय में किचन गार्डन व फुलवारी का निर्माण किया। विद्यालय परिसर को आकर्षक बनाने के लिए रंग रोगन तथा भौतिक संसाधन जुटाने हेतु स्वयं की धनराशि खर्च की। विद्यालय मैं स्मार्ट क्लास के संचालन हेतु स्वयं की धनराशि से प्रोजेक्टर क्रय किया। अपने व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, NGO तथा अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर आवश्यक सहयोग प्राप्त किया।
🔷️B- अन्य शिक्षकों के सहयोग से : - 15 अप्रैल 2015 को जब मैं प्राइमरी से प्रमोशन पाकर जूनियर हाईस्कूल बुज्याड में आया, तब विद्यालय की स्थित काफी दयनीय थी विद्यालय में वर्षों से रंग रोगन नहीं करवाया गया था। विद्यालय में बच्चों के बैठने हेतु चटाई, पेयजल, शौचालय तथा अन्य आधारभूत भौतिक सुविधाओं का अभाव था । तब मैंने पूरी व्यवस्था मैं सुधार लाने का प्रयास करना चाहा, लेकिन प्रभारी प्रधानाध्यापक श्री नारायण दत्त जी द्वारा मुझे किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं किया गया।
परिस्थितियां तब अनुकूल हुई, जब जनवरी 2019 को उनका स्थानांतरण होने से, विद्यालय का प्रभार श्री ख्याली राम चन्याल जी को प्राप्त हुआ, तब उन्होंने मुझे पूरा सहयोग प्रदान किया। मेरे लिए इतना ही काफी नहीं था, मुझे प्राइमरी के अध्यापकों का भी सहयोग लेना आवश्यक था, क्योंकि प्राइमरी एवं जूनियर दोनों विद्यालय एक ही परिसर में स्थित हैं। इसलिए आवश्यक था कि दोनों विद्यालयों का कायाकल्प एक साथ किया जाए। मैं जानता था सभी अध्यापकों का सहयोग प्राप्त हुए बिना यह काम संभव नहीं है। अपने विचार साझा करने से प्रयास सफल रहा। मुझे सभी अध्यापकों का सहयोग प्राप्त हुआ। परिणाम स्वरूप विद्यालय की कायाकल्प करने हेतु मुझे सभी स्तर की खुली छूट प्राप्त हुई।
प्राइमरी के प्रधानाध्यापक श्री भोपाल राम चन्याल जी की संगीत मैं अच्छी पकड़ थी, उनके सहयोग से प्रार्थना सभा मैं वाद्य यंत्रों का उपयोग प्रारंभ किया गया। इससे प्रार्थना सभा काफी आकर्षक होने लगी।
🔷️C- जनप्रतिनिधि के सहयोग से:- हमारे विद्यालय की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की थी। पेयजल योजना पूर्ण रूप से ध्वस्त होने के कारण पाइप लाइन का अता पता ही नहीं था। बच्चे एवं भोजन माता अपने उपयोग व पीने का पानी घर से लाकर काम चला रहे थे। इसलिए हमने ग्राम प्रधान से सहयोग लिया, प्रधान जी ने दशम वित्त योजना मद (99000/-₹) से पेयजल योजना का पुनर्निर्माण करवाया। इससे पेयजल समस्या का समाधान हो गया। अब विद्यालय में चौबीसों घंटे पानी चलता है।
माननीय विधायक गंगोलीहाट श्रीमती मीना गंगोला जी से संपर्क कर मैंने बच्चों के बैठने हेतु विधायक निधि से फर्नीचर के लिए सहयोग मांगा। माननीय विधायक जी द्वारा प्राथमिक एवं जूनियर के बच्चों की बैठक व्यवस्था हेतु पर्याप्त मात्रा में फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया।
🔷️D- शासन के सहयोग से:- हमारे विद्यालय में कंप्यूटर उपलब्धि नहीं था। इसके लिए प्रयास ये किया कि जिस जूनियर विद्यालय में लाइट सुविधा न होने के कारण वहां कंप्यूटर निष्प्रोज्य पड़े थे, उन विद्यालयों से कंप्यूटर अपने विद्यालय में हस्तांतरित करने हेतु, मैंने उप शिक्षा अधिकारी महोदय गंगोलीहाट श्री किशोर पंत जी से संपर्क किया। उप शिक्षा अधिकारी महोदय द्वारा एक कंप्यूटर सेट अन्य विद्यालय से हमारे विद्यालय में हस्तांतरित कर उपलब्ध करवाया गया।
🔷️E- जन सहभागिता से:- सेवित क्षेत्र के लोगों विद्यालय प्रबंधन समिति एवं अभिभावकों का रवैया विद्यालय के प्रति उदासीन था। अतः सभी लोगों से संपर्क कर गांव वालों एवं अभिभावकों को जागरूक किया गया। तब जन सहभागिता से विद्यालय में दीवारों की मरम्मत तथा जैविक एवं अजैविक गड्ढों का निर्माण आदि कार्य श्रमदान के माध्यम से करवाया गया।
विद्यालय में दो अध्यापक कार्यरत थे, अध्यापकों की कमी को देखते हुए जन सहभागिता से अंग्रेजी शिक्षण हेतु गांव के ही एक M.A. BEd प्रशिक्षित युवक, जो कि निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य करता था, उसे निर्धारित मानदेय पर शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। मानदेय हेतु शिक्षकों द्वारा अपनी ओर से तथा कुछ धनराशि गांव के सहयोग से जमा कर मानदेय की व्यवस्था निर्धारित की गई।
🔷️F- अन्य सहयोग से:- NGO से संपर्क कर सहयोग मांगा गया। तब स्वयं सेवी संस्था गूंज का हमें सहयोग प्राप्त हुआ। जिसके माध्यम से प्राइमरी एवं जूनियर के बच्चों को निशुल्क जूता वितरित किया गया। साथ ही 100 से अधिक परिवारों को राहत सामग्री किट (कपड़े एवं राशन) वितरित किया गया।
👉3- किए गये प्रयासों का परिणाम:- हमारे द्वारा जो प्रयास किया गया, उससे प्रभावित होकर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हमारे विद्यालय का अवलोकन करने पहुंची। परिणाम स्वरूप विद्यालय में किए गए कार्यों को पेपर व TV के माध्यम से सभी के सामने लाया गया। जिससे सेवित क्षेत्र की जनता, SMC सदस्यों, विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों तथा कार्यरत अध्यापकों का मनोबल काफी बढ़ गया।
⭐A- प्रयास से पहले और प्रयास के बाद नामांकन- जैसा कि हमारा विद्यालय अति दुर्गम क्षेत्र में स्थित है। आसपास नजदीक में कहीं भी निजी विद्यालय नहीं है। इसलिए स्वाभाविक रूप से क्षेत्र के सभी बच्चे पूर्व से ही हमारे विद्यालय में अध्ययन करते थे। अतः छात्र संख्या में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव या बदलाव नहीं आया। हां कुछ अभिभावकों के बच्चे जो कि पहले से ही अन्यत्र निजी विद्यालयों में पढ़ते थे, उनमें से 03 बच्चे वापस हमारे विद्यालय आने से उत्साहवर्धन हुआ।
⭐B- वर्तमान उपस्थिति का प्रतिशत- विद्यालय आनंदालय बनने से बच्चों कि उपस्थिति लगभग 98% रहती है। हालाकि आजकल कोविड 19 से परिस्थितियां भिन्न है।
⭐C- प्रतियोगिताओं में सफल छात्रों की संख्या- इस हेतु प्रयास अभी प्रारंभिक चरण में है।
👉4- विद्यार्थियों की
उपलब्धियाँ:- CRC, ब्लॉक एवं जिला स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में हमारे विद्यालय के बच्चों का प्रदर्शन अब्बल रहा है।
⭐A- विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त पुरस्कार विवरण:- सपनों की उड़ान प्रतियोगिता मैं हमारे विद्यालय के बच्चों ने प्राथमिक एवं जूनियर स्तर की प्रतियोगिता में सीआरसी एवं ब्लॉक स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा जिला स्तर पर प्राथमिक एवं जूनियर स्तर पर गत लगातार 2 साल, द्वितीय स्थान प्राप्त किया है। साथ ही खेलकूद प्रतियोगिता में सीआरसी एवं लॉक स्तर पर कई बार प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
क्षेत्र एवं क्षेत्र के आसपास स्थानीय मेला में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हमारे विद्यालय के प्राथमिक एवं जूनियर के बच्चों द्वारा शानदार प्रस्तुति देते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
⭐B- विद्यार्थियों की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का विवरण:- इस हेतु प्रयास अभी प्रारंभिक चरण में है।
👉5 - विद्यालय की प्रेरक शिक्षण, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं खेलकूद गतिविधियाँ:- विद्यालय में शिक्षण कार्य स्मार्ट क्लास/ऑनलाइन एवं यूट्यूब के माध्यम से प्रोजेक्टर द्वारा किया जाता है। वर्तमान में एक कंप्यूटर सेट तथा एक लैपटॉप विद्यालय में उपलब्ध है तथा तीन कंप्यूटर, एक प्रिंटर एवं एक प्रोजेक्ट विधायक निधि के माध्यम से दिए जाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम सप्ताह में एक बार हर शनिवार को आयोजित किया जाता है। जबकि प्रार्थना सभा में वाद्य यंत्रों के साथ 3 भाषाओं में कुमाऊनी, हिंदी तथा अंग्रेजी का मिश्रण रहता है।
क्षेत्र में होने वाले स्थानीय मेलों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सूचना विद्यालय को दी जाती है, जिसमें विद्यालय के बच्चों का हमेशा प्रतिभाग बना रहता है, जो कि काफी सराहनीय रहता है।
👉6 - शिक्षकों और विद्यालय की उपलब्धियां :-
वर्तमान में हमारे विद्यालय को गंगोलीहाट ब्लॉक से आदर्श विद्यालय बनाने हेतु शासन को प्रस्तावित भेजा गया है। यदि हमारे विद्यालय को आदर्श विद्यालय का दर्जा प्रदान किया जाता है तो सबसे बड़ी उपलब्धि होगी, पर्याप्त शिक्षण स्टाफ। जो कि विद्यालय के शैक्षणिक स्तर ऊंचा करने में मदद करेगी।
⭐A- शिक्षकों के नवाचारों का विवरण:- हमारे विद्यालय की प्रार्थना सभा पूर्व में सिर्फ हिंदी भाषा में होती थी। पहला नवाचार करते हुए प्रार्थना सभा में कुमाऊनी वंदना के साथ-साथ कुमाऊनी भाषा में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के समाचार का वाचन किया गया। साथ ही बच्चों द्वारा प्रार्थना सभा में सभी आदेश एवं प्रतिज्ञा हेतु अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता है। त्रिभाषी मिश्रण उत्साहवर्धक रहा।
दूसरे नवाचार के रूप में बच्चों को समूह में बांटा गया है। प्रार्थना सभा संचालन, मिड डे मील बैठक व्यवस्था, भोजन मंत्र, खेलकूद का संचालन, घर में पढ़ने हेतु पुस्तकों का वितरण एवं जमा करने का लेखा-जोखा रखना, अनुशासन बनाए रखना, विद्यालय मैं स्वच्छता कार्यक्रम तथा गांव में प्लास्टिक मुक्त परिवेश आदि कार्यक्रमों का संचालन बच्चों द्वारा स्वयं किया जाता है। इस हेतु अपने आप में ग्रुप निर्धारण कर कार्य विभाजन एवं मॉनिटरिंग स्वयं बच्चों द्वारा किया जाता है।
मशरूम उत्पादन एवं ईमानदारी की पाठशाला कार्यक्रम नवाचार के रूप में अभी प्रारंभिक चरण में चल रहा है। ईमानदारी की पाठशाला के तहत विद्यालय में उपयोग आने वाली छोटी-छोटी सामग्री जैसे डॉट पेन, पेंसिल, रबर, पेंसिल कटर, चार्ट पेपर, कलर पेंसिल, स्केच पेन आदि एकांत स्थान पर रखकर, उनका मूल्य निर्धारित करते हुए लिख दिया गया है। वहां से बच्चे स्वयं अपनी आवश्यकता की वस्तु को उठाकर, उसकी निर्धारित कीमत वहीं पर रखे हुए गोलक में डाला जाता है। महीने के अंत में सामग्री एवं गोलक के पैसों का मिलान किया जाता है। इससे बच्चों द्वारा ईमानदारी को अपनाने की स्वप्रेरणा स्वयं की मिलती है।
⭐B- शिक्षकों के विभिन्न सम्मानों एवं पुरस्कारों विवरण:- विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान उत्तराखंड द्वारा माननीय शहरी विकास मंत्री उत्तराखंड श्रीमान मदन कौशिक के हाथों भाऊ राव देवरस सम्मान से सम्मानित करते हुए प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया है।
⭐C- शिक्षकों की अन्य उपलब्धियाँ: मेरे द्वारा विगत कई सालों से संकुल प्रभारी (CRC) का दायित्व एवं जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ में प्रांतीय संगठन मंत्री का दायित्व निर्वहन किया जा रहा है। साथ ही मै तथा मेरे साथी अध्यापक प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा समय-समय पर मास्टर ट्रेनर (MT) की भूमिका का निर्वहन किया जाता रहा है। इसे हम उपलब्धि तो नहीं कह सकते, मगर विभाग द्वारा शिक्षा एवं शिक्षक हित में दी जाने वाली जिम्मेदारियों हेतु हमें चयनित/नामित किया जाना, हमारे लिए अपने आप में एक उपलब्धि के समान है।
👉7 - मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश: शिक्षा का उत्थान एवं शिक्षक का सम्मान हेतु किया जाने वाला कार्य अपने आप में अभूतपूर्व है। निस्वार्थ भाव से कार्य करना, शिक्षकों को तकनीकी ज्ञान से जोड़ना, सरकारी विद्यालयों को सम्मानजनक ऊंचाई पर ले जाने का यह कार्य निरंतर जारी रहना चाहिए।
👉8 - शिक्षक समाज के लिए संदेश:- राष्ट्र का निर्माण कहीं और नहीं बल्कि विद्यालयों में होता है, जहाँ बच्चा राष्ट्र का भविष्य है। शिक्षक की भूमिका इसमें क्या है..? यह शिक्षक को समझना होगा।
शिक्षा का जो व्यापारीकरण एवं बाजारीकरण हो रहा है, उसे रोक कर, सरकारी विद्यालयों का स्तर ऊंचा उठाने हेतु निस्वार्थ भाव से प्रयास एक शिक्षक ही कर सकता है।
9- 🖍️साभार - रमेश चन्द्र जोशी (सत्यम जोशी)
मिशन शिक्षण संवाद पिथौरागढ़
📝प्रेरणा, सहयोग व संकलन के लिए मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी लक्ष्मण सिंह मेहता जी का आभार व धन्यवाद।
नोट : मिशन शिक्षण संवाद में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर- 9458278429 पर लिखें ✍🏽🙏
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