गुरु की महिमा

अज्ञानता के तिमिर को मिटाता है गुरु,
ज्ञान के दीपक को जलाता है गुरु।
शिष्य को कुम्भकार के जैसे गढ़ता है गुरु,
दुर्गुणों से बचाकर सद्गुणों को देता है गुरु।।

अनन्त रूप में समर्पित हो शिक्षा देता है गुरु,
माँ-पिता के रुप में राष्ट्र का निर्माण करता है गुरु।
जीवन में विषमता से लड़ना सिखाता है गुरु,
उन्नति के शिखर तक पहुँचाता है गुरु।।

उच्चादर्शों- संस्कारों का पाठ पढ़ाता है गुरु,
नैतिकता-सदाचार की सीख बाँटता है गुरु।
मान- सम्मान पाने के काबिल बनाता है गुरु,
ज्ञान-गंगा के प्रवाह से अभिसिंचित करता है गुरु।।

आदर्श शिक्षक बनकर अमिट स्थान पाता है गुरु,
सम्पूर्ण जीवन भर सुमार्ग पर चलना सिखाता है गुरु।
ज्ञान की एक-एक बूँद से शिष्य को भरता है गुरु,
सफल हो शिष्य, हार्दिक शुभकामना देता है गुरु।।

रचयिता
प्रतिमा उमराव,
सहायक शिक्षिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमौली,
विकास खण्ड-अमौली,
जनपद-फतेहपुर।

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