बेटी की अभिलाषा
नहीं चाहिए, दुनिया के सुख-
और नहीं एशो-आराम।
नहीं कोख में मारी जाऊँ-
देना मुझको जीवनदान।
छोटी सी अभिलाषा मेरी-
सुन लो, मम्मी-पापा जी!
गर्भ जाँच मत करवाना जी-
चाहें कुछ हो मजबूरी जी!
बेटी बन आ रही हूँ, जग में
लेके जीवन की आशा।
सपने कुछ होंगे मेरे भी
छोटी सी कुछ अभिलाषा।
पढ़-लिख लूँगी, मेहनत करके-
कभी न बोझ बन पाऊँगी!
नाम करूँगी, घर समाज का
काम देश के आऊँगी।
दे सको यदि तो, जीवन देना-
नहीं मृत्यु को अपनाऊँ।
कार्य करूंगी जीवन में-नित,
राष्ट्र हित मै बलि जाऊँ।
किन्तु डर लगता है मुझको-
दिन में उजियारे में भी।
काँपे रूह सुन घटनाओं को-
जीवन ही है हम पर भी।
अभिलाषा है यह भी मेरी-
प्यार-अपार नित नव पाऊँ।
मायके अर ससुराल में भी-
पाकर नित मै हर्षाऊँ।
जननी, धात्री रुप हूँ मै
समझो ना बेकार हूं मै।
शिवा भवानी रूप में हूँ-
ईश्वर की अनुपम कृति हूँ मै।
रचयिता
आचार्य सन्तोष व्यास,
सहायक अध्यापक,
राजकीय जूनियर हाई स्कूल क्यारा (दोगी),
विकास खण्ड - नरेंद्र नगर,
जनपद - टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
और नहीं एशो-आराम।
नहीं कोख में मारी जाऊँ-
देना मुझको जीवनदान।
छोटी सी अभिलाषा मेरी-
सुन लो, मम्मी-पापा जी!
गर्भ जाँच मत करवाना जी-
चाहें कुछ हो मजबूरी जी!
बेटी बन आ रही हूँ, जग में
लेके जीवन की आशा।
सपने कुछ होंगे मेरे भी
छोटी सी कुछ अभिलाषा।
पढ़-लिख लूँगी, मेहनत करके-
कभी न बोझ बन पाऊँगी!
नाम करूँगी, घर समाज का
काम देश के आऊँगी।
दे सको यदि तो, जीवन देना-
नहीं मृत्यु को अपनाऊँ।
कार्य करूंगी जीवन में-नित,
राष्ट्र हित मै बलि जाऊँ।
किन्तु डर लगता है मुझको-
दिन में उजियारे में भी।
काँपे रूह सुन घटनाओं को-
जीवन ही है हम पर भी।
अभिलाषा है यह भी मेरी-
प्यार-अपार नित नव पाऊँ।
मायके अर ससुराल में भी-
पाकर नित मै हर्षाऊँ।
जननी, धात्री रुप हूँ मै
समझो ना बेकार हूं मै।
शिवा भवानी रूप में हूँ-
ईश्वर की अनुपम कृति हूँ मै।
रचयिता
आचार्य सन्तोष व्यास,
सहायक अध्यापक,
राजकीय जूनियर हाई स्कूल क्यारा (दोगी),
विकास खण्ड - नरेंद्र नगर,
जनपद - टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।
बहुत सुंदर हृदयस्पर्शी कविता
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