गुब्बारे

गुब्बारे ले लो
गुब्बारे ले लो।
आवाज यह
आती है।
मुन्ना और मुन्नी
दोनों को
हर्षा जाती है।

गुब्बारा मिलते ही
मानो सारे जहां की
खुशियाँ
मिल जाती हैं।
हाथ से छूटे
गुब्बारा
जाए गगन में
दूर अपार।

नया लेने की
हठ कर जाते हैं।
मिल जाने पर
ताली बजाते हैं।
गुब्बारा लगता
बच्चों को
बहुत प्यारा।

बच्चों को खाने की
सुध भी
भुला देता है।
छोटी-छोटी
खुशियों से
बचपन
सजा देता है।

रचयिता
सुषमा मलिक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली, 
जनपद-हापुड़।

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