ये हमारी मीना है

कल्पित पात्र मीना है,
हमें सिखाती जीना है।
यूनिसेफ से आयी है,
हर बच्चे को भायी है।।

अच्छी राह दिखाती है,
सच्ची सीख सिखाती है।
क्या अधिकार हमारे हैं?
खुलकर के बतलाती है।।

छोटी है फिर भी प्रबुद्ध है,
अन्तरमन का भाव शुद्ध है।
जो कुरीतियाँ फैली हैं,
ये सदैव उनके विरुद्ध है।।

खुद जागी है, देश जगाती,
शिक्षा और समाज मिलाती।
सदा ज्ञान का दीप जलाती,
मन के सभी विकार मिटाती।।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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