बेटियाँ
माता-पिता का अभिमान हैं बेटियाँ,
राष्ट्र का गौरव व सम्मान हैं बेटियाँ।
नही वह किसी पर होती आश्रित,
घर -घर की अब शान हैं बेटियाँ।।
जन्म में जिसके न मनाई हो खुशियाँ,
पराई समझकर न दिलाई जो शिक्षा,
फिर भी माता- पिता व भाइयों को,
दिल से स्नेह, दुलार लुटाती हैं बेटियाँ।
देवी स्वरूपा, ममतामयी, सरल हृदया,
भगिनी, अर्धांगिनी, जननी या बाल रूप,
पूरे परिवार को पिरोती है एक सूत्र में।
बिन बेटी घर की नहीं होती है कल्पना।
रानी लक्ष्मी बाई, तो कभी इंदिरा गांधी,
कभी कल्पना चावला या मदर टेरेसा।
राष्ट्रपति पद भी क्या सुशोभित, बेटी ने,
इतिहास में हर युग की शान हैं बेटियाँ।
जब बेटी को न था शिक्षा का अधिकार,
माता के रूप में सही किया चमत्कार।
वैज्ञानिक, विद्वान, राष्ट्र निर्माता बेटों को,
एक बेटी की ही शिक्षा होगी व संस्कार।
आज बेटी दिवस पर, मनाएँ खुशियाँ,
संकल्प लें, उन्हें संरक्षित करने का।
शिक्षा, संस्कार पाकर कुल दीपक क्या,
सूरज बनकर, जगमगाएँगी बेटियाँ।
रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय लमगड़ा,
विकास खण्ड-लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
राष्ट्र का गौरव व सम्मान हैं बेटियाँ।
नही वह किसी पर होती आश्रित,
घर -घर की अब शान हैं बेटियाँ।।
जन्म में जिसके न मनाई हो खुशियाँ,
पराई समझकर न दिलाई जो शिक्षा,
फिर भी माता- पिता व भाइयों को,
दिल से स्नेह, दुलार लुटाती हैं बेटियाँ।
देवी स्वरूपा, ममतामयी, सरल हृदया,
भगिनी, अर्धांगिनी, जननी या बाल रूप,
पूरे परिवार को पिरोती है एक सूत्र में।
बिन बेटी घर की नहीं होती है कल्पना।
रानी लक्ष्मी बाई, तो कभी इंदिरा गांधी,
कभी कल्पना चावला या मदर टेरेसा।
राष्ट्रपति पद भी क्या सुशोभित, बेटी ने,
इतिहास में हर युग की शान हैं बेटियाँ।
जब बेटी को न था शिक्षा का अधिकार,
माता के रूप में सही किया चमत्कार।
वैज्ञानिक, विद्वान, राष्ट्र निर्माता बेटों को,
एक बेटी की ही शिक्षा होगी व संस्कार।
आज बेटी दिवस पर, मनाएँ खुशियाँ,
संकल्प लें, उन्हें संरक्षित करने का।
शिक्षा, संस्कार पाकर कुल दीपक क्या,
सूरज बनकर, जगमगाएँगी बेटियाँ।
रचयिता
दीपा आर्य,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय लमगड़ा,
विकास खण्ड-लमगड़ा,
जनपद-अल्मोड़ा,
उत्तराखण्ड।
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