गुब्बारे

लाल, हरे, नीले, पीले,
देखो कितने गुब्बारे।
हवा के संग बातें करते
हैं ये देखो बहुत सारे।

बच्चे के मन को हैं भाते
जहाँ भी जाते साथ ले जाते।
अपने घर को हम सजाएँ,
रंग-बिरंगे इन्हें फुलाएँ।

आसमान में उड़कर,
ऊँचाइयाँ पा जाते हैं।
हर एक बच्चे को,
नई सीख दे जाते हैं।

रचयिता
आकांक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर,
विकास खण्ड-सुरसा, 
जनपद-हरदोई।

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