४८६~ मीना जोशी (मीनू जोशी) स०अ० (विज्ञान) राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल चौसाला, धौलादेवी, जनपद : अल्मोड़ा, उत्तराखंड
🏅#अनमोल_रत्न🏅
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन श्रीमती मीना जोशी जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को न सिर्फ बच्चों के लिए आकर्षण और विविध शिक्षण गतिविधियों व उपलब्धियों का केन्द्र बना दिया है बल्कि सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। जो हम सभी के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय प्रयास हैं।।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को :-
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👉शिक्षक परिचय : श्रीमती मीना जोशी (मीनू जोशी) स०अ० (विज्ञान)
राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल चौसाला, धौलादेवी, जनपद : अल्मोड़ा, उत्तराखंड
प्रथम नियुक्ति तिथि : 25 फरवरी 1997
वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति : 21 अगस्त 2007
इन पंक्तियों के साथ अपनी बात प्रारंभ करना चाहूंगी कि -
"उजाले बन के छा जाएं कि काली रात ढल जाए,
मशालें बन के जल उठें तो शायद दिन निकल आए,
हमारी कोशिशें जारी रहेंगी भोर होने तक,
अंधेरा चीरकर शायद कोई सूरज निकल आए।"
21 अगस्त वर्ष- 2007 को मैंने राजकीय कन्या जूनियर हाई स्कूल चौसाला, विकासखंड - धौलादेवी (अल्मोड़ा) में सहायक अध्यापक (विज्ञान / गणित) के पद पर कार्यभार ग्रहण किया। विद्यालय स्तर पर कक्षा शिक्षण एवं अन्य पाठ्य सहगामी क्रिया कलापों को कराते समय मुझे आभास हुआ कि बच्चों में किसी भी कार्य को करने की उत्सुकता एवं इच्छा है, परन्तु उनमें एक प्रकार की झिझक और आत्मविश्वास की कमी है। मैंने व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक बच्चे का नाम व उनकी कुछ विशेषताओं को जानकर उनके साथ स्नेह संबंध बनाने की कोशिश की। जल्दी ही सारे बच्चे मेरे साथ घुलमिल गए। मुझे स्वयं यह आभास होने लगा कि बच्चे भावनात्मक रूप से मुझसे काफी जुड़ चुके हैं। मैं स्वयं भी उनकी हर क्रिया - प्रतिक्रिया पर मनोवैज्ञानिक रूप से शोध करने लगी। मुझे पता ही नहीं चला कि कब इन बच्चों से मुझे इतना लगाव और अपनत्व हो गया। बच्चे भी मुझसे अपनी व्यक्तिगत समस्या साझा करने लगे।
इसके बाद मैंने और मेरे सहयोगी शिक्षकों ने मिलकर कुछ शैक्षिक नवाचार प्रारंभ किए, जिनका विवरण इस प्रकार है -
👉1. स्वयं के प्रयास :--
⭐A. सर्वप्रथम मैंने छात्रों की नियमित उपस्थिति हेतु सभी अभिभावकों से व्यक्तिगत रूप से फोन द्वारा, घर जाकर और विद्यालय में आमंत्रित कर संपर्क किया और इस बारे में विनम्र आग्रह किया।
काफी अच्छा परिणाम प्राप्त हुआ।
⭐B.--- विद्यार्थियों को स्कूल यूनिफार्म के साथ-साथ एकरूपता और अपनी विशेष पहचान बनाने के लिए सदनों के आधार पर अलग - अलग रंगों की टी शर्ट्स, आकर्षण बैज और टाई आदि सामग्रियां प्रदान की, जिससे उनके व्यक्तित्व में निखार आ सके और स्कूल आने की इच्छा जाग्रत हो।
⭐C.--क्रियात्मक अनुसंधान के द्वारा समस्या और कारणों की जानकारी के बाद उन विभिन्न विषयों पर कुछ खेल और रूचिपूर्ण गतिविधियां (जैसे - संख्या रेखा का अदभुत खेल, संख्याओं को हम पहचानें, ज्यामितीय अवधारणाएं, कुछ गणितीय पहेलियां आदि विभिन्न विषयों पर कुछ नवाचार किए।
⭐D.-- बच्चों के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित कुछ हस्तलिखित पुस्तिकाओं का निर्माण किया जिनमें विभिन्न संबोधों की जानकारी बहुत सरल-सरल तरीके से दी गई है।
⭐E-- विद्यालय में बच्चों की रचनात्मकता का विकास करने के लिए बच्चों के द्वारा दीवार पत्रिका 'बाल वाटिका' और बाल अखबार का संपादन करवाया तथा बच्चों के लिए मासिक पत्रिका बाल प्रहरी और चकमक लगवाई।
⭐F.--- विद्यालय में विज्ञान प्रयोगशाला का एक कॉर्नर तैयार किया जिसमें सूक्ष्मदर्शी से लेकर विभिन्न उपकरण उपलब्ध कराए।
⭐G--. बच्चों से विभिन्न विषयों पर बाल शोध तैयार करवाए। जिनमें भोजन के अवयवों को जानें, जड़ी बूटियों को पहचाने, अपना बीएमआई निकालें, मिलावटखोरों से सावधान, कीमती है हमारी जान आदि कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर बच्चों के साथ मिलकर कार्य किया।
👉2.अन्य शिक्षकों के साथ सहयोग से किए गए कार्य --
⭐A--. शैक्षिक भ्रमण में हर वर्ष सभी बच्चों को प्रति वर्ष महत्वपूर्ण स्थलों पर जाने हेतु व्यवस्था और आर्थिक सहयोग।
⭐B.-- विद्यालय में विभिन्न सामग्रियों जैसे फिल्टर, कालीन, लैपटॉप, पर्दे आदि विभिन्न आवश्यक वस्तुओं को उपलब्ध कराने में आर्थिक सहयोग।
⭐C---निष्प्रयोज्य सामग्रियों से बच्चों द्वारा बहुत ही आकर्षक और उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कराने में सहयोग व हर वर्ष प्रदर्शनी लगाना।
⭐D-- निम्न आर्थिक स्तर वाले बच्चों को प्रतिवर्ष स्वेटर, टोपी, जैकेट, जूते, बैग और विभिन्न पाठ्य सामग्रियाँ उपलब्ध कराना तथा प्रतिवर्ष सभी बालिकाओं को एक जोड़ी पोशाक प्रदान करना।
👉E.-- विद्यालय में लाइब्रेरी की विभिन्न ज्ञानवर्धक पुस्तकों के क्रय हेतु निरंतर आर्थिक सहयोग। हर वर्ष सहयोग से 100 पुस्तकें मंगाने का लक्ष्य।
👉3.जन सहभागिता से किए गए प्रयास -
⭐A.-- विद्यालय के विभिन्न कार्यक्रमों, मासिक बैठकों, समारोहों में निरंतर प्रतिभाग व विभिन्न व्यवस्थाओं में सहयोग।
⭐B-- पूर्व में कई वर्षों से विद्यालय भवन विवादास्पद होने के कारण हस्तांतरित नहीं हो पाया था, जिसके कारण विद्यालय प्राथमिक विद्यालय के एक कक्ष में संचालित होता था। जन सहयोग से अध्यापकों ने मिलकर विद्यालय भवन के लिए निरंतर प्रयास किया और विद्यालय को नए भवन की स्वीकृति मिली और भवन बनकर तैयार हो पाया। नया भवन अभी हस्तांतरित नहीं हुआ है।
⭐C-- नवनिर्मित विद्यालय में वृक्षारोपण और क्यारियों के निर्माण में विद्यालय परिवार का सहयोग एवं पानी की व्यवस्था के लिए निरंतर प्रयासरत।
👉4- किए गए प्रयासों का परिणाम
⭐A-- व्यक्तिगत और सहयोग से किए गए प्रयासों के द्वारा विद्यालय मैं बच्चों के नामांकन में अच्छा सुधार आया। इस वर्ष लगभग 50 छात्र-छात्राएं विद्यालय में अध्ययनरत हैं।
⭐B.-- विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति का प्रतिशत हमेशा 90 से अधिक। अधिकांश बच्चे नियमित रूप से उपस्थित।
⭐C.-- विद्यालय, ब्लॉक, जिले स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में बच्चे प्रतिभाग कर बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। लगातार तीन वर्षों तक बच्चों के बाल शोध एवं बाल पत्रिकाएं जिले स्तर से प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रदेश स्तर के लिए चयनित हुई हैं। विद्यालय के अधिकांश छात्र विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल हुए है।
5.👉विद्यार्थियों की उपलब्धियां -
🏆A--. विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं, बाल शोध, पत्रिका व बाल अखबार संपादन, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, सांस्कृतिक प्रतियोगिता आदि में बच्चों ने सीआरसी, ब्लॉक और जिले स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है।
🏆B--. विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के अंतर्गत वर्ष 2018 - 19 में एक छात्र गौतम पांडे का चयन छात्रवृत्ति परीक्षा में हुआ। इसके अतिरिक्त भाषण प्रतियोगिता और निबंध प्रतियोगिता में जिले स्तर और प्रदेश स्तर पर दो छात्राओं का चयन हुआ है।
⭐C.-- अन्य उपलब्धियां - विद्यालय में इस दैनिक योग, साप्ताहिक व्यायाम, बाल काव्य गोष्ठी, क्विज, बाल पत्रिकाओं का संपादन, लेखन कार्यशालाएं, चित्रकला प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बाल शोध एवं खेलकूद आदि गतिविधियां निरंतर की जाती है। विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं में बच्चों के लेख प्रकाशित।
👉6. शिक्षकों के नवाचारों का विवरण -
🖋A--. मेरे द्वारा किए गए विभिन्न नवाचारों का प्रस्तुतीकरण जिले स्तर पर लगभग प्रतिवर्ष हो रहा है। इसके अतिरिक्त राज्य स्तर पर सीमैट में भी मुझे विभिन्न नवाचारों के प्रस्तुतीकरण हेतु दो बार आमंत्रित किया गया।
⭐B.-- सम्मान और पुरस्कार के अंतर्गत जिला स्तर में टी एल एम निर्माण में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
नवाचारों के प्रस्तुतीकरण एवं प्रदर्शन पर जिला स्तर और अन्य जिलों द्वारा भी सम्मानित किया गया है। राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा 2017- 18 एवं 2018 -19 में नवाचारी गतिविधियों हेतु उत्कृष्टता प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया।
मिशन शिक्षण संवाद द्वारा वर्ष 2018 - 19 में उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया गया।
⭐C--. अन्य उपलब्धियों के अंतर्गत अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की बंगलुरू टीम द्वारा एक सर्वेक्षण में विद्यालय को राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न नवाचारी विद्यालयों मैं सम्मिलित किया गया।' Good school Chausala' के नाम से विद्यालय पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म तैयार की गई है जो यूट्यूब में उपलब्ध है।
👉7. मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश :- मिशन शिक्षण संवाद एक ऐसे स्वयंसेवी शिक्षकों का संगठन है जो विभिन्न नवाचारों के द्वारा बच्चों को मौलिक व सृजनशील बनाने में बल देता है। इस नवाचार की उर्जा से देश का रचनात्मक और समावेशी भविष्य बना सकेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में अद्भुत क्रांति लाकर शिक्षा को एक नया आयाम देने के लिए मिशन शिक्षण संवाद को कोटि कोटि साधुवाद।
👉8. शिक्षक समाज के लिए सन्देश -
कशिश ही काफी नहीं है, मायने कुछ और भी हैं,
सिर्फ तूफां ही नहीं है, जिंदगी कुछ और भी है।
रास्ते चाहिए यही हों, मंजिले कुछ और भी हैं।
किनारा यह ही नहीं है, साहिलें कुछ और भी हैं।
सिर्फ जीना ही नहीं है, जिंदगी कुछ और भी है।
सिर्फ सज़दा ही नहीं है, बंदगी कुछ और भी है।
9. साभार एवं सहयोग --
श्रीमती दीपा आर्य मिशन शिक्षण संवाद टीम जिला - अल्मोड़ा
संकलन व प्रेरणा के लिए मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी लक्ष्मण सिंह मेहता का आभार व धन्यवाद।
11-09-2020
नोट : मिशन शिक्षण संवाद में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर - 9458278429 पर लिखें✍🏽🙏
👉8. शिक्षक समाज के लिए सन्देश -
कशिश ही काफी नहीं है, मायने कुछ और भी हैं,
सिर्फ तूफां ही नहीं है, जिंदगी कुछ और भी है।
रास्ते चाहिए यही हों, मंजिले कुछ और भी हैं।
किनारा यह ही नहीं है, साहिलें कुछ और भी हैं।
सिर्फ जीना ही नहीं है, जिंदगी कुछ और भी है।
सिर्फ सज़दा ही नहीं है, बंदगी कुछ और भी है।
9. साभार एवं सहयोग --
श्रीमती दीपा आर्य मिशन शिक्षण संवाद टीम जिला - अल्मोड़ा
संकलन व प्रेरणा के लिए मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी लक्ष्मण सिंह मेहता का आभार व धन्यवाद।
11-09-2020
नोट : मिशन शिक्षण संवाद में सहयोग और सुझाव के लिए वाट्सअप नम्बर - 9458278429 पर लिखें✍🏽🙏
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