२३८~ कृष्ण मुरारी उपाध्याय Principal EMPS Patha, महरौनी, ललितपुर

💎🏅अनमोल रत्न🏅💎

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से बेसिक शिक्षा के एक ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी कर्मयोगी अनमोल रत्न आदर्श शिक्षक आदरणीय श्री कृष्ण मुरारी उपाध्याय जी जनपद-ललितपुर से परिचय करा रहे हैं। जिन्हें हम यदि नवाचार का जनक और हम शिक्षकों के मार्गदर्शक कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। क्योंकि आपने शिक्षक के रूप में शिक्षण और शोध दोनों को सिद्ध कर दिखाया। आपके सकारात्मक प्रयासों ने यह साबित कर दिया है कि यदि शिक्षक चाहे तो बेसिक शिक्षा की वर्तमान परिस्थितियों में भी कोई असमभव शब्द नहीं है। वह शून्य को भी शिखर में बदल सकता है। मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से ऐसे आदरणीय और अनुकरणीय अनमोल रत्न को हार्दिक नमन करते हैं।

आइये हम देखते हैं आदर्श और अनुकरणीय प्रयासों को:-

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आप सभी को मेरा नमस्कार
मैं कृष्ण मुरारी उपाध्याय सहायक अध्यापक, UPS Patha,
(अगस्त 2004 से मई-2011 एवं नवम्बर 2014 से अप्रैल 2018)

यात्रा का दूसरा चरण - उच्च प्राथमिक विद्यालय पठा, ब्लाक -महरौनी, जनपद - ललितपुर।

इस विद्यालय में मेरी पोस्टिंग अगस्त 2004 में हुई थी। उस समय यह विद्यालय बहुत जर्जर स्थिति में था पास में ही एक भवन खंडहरनुमा खड़ा था। शौचालय में ताले पड़े रहते थे और अध्यापकों बच्चों को उस खंडहर में अलग-अलग कक्ष निर्धारित थे जहां वह लघुशंका के लिए जा सकते थे। विद्यालय में शिक्षकों के लिए फर्नीचर के नाम पर एक या दो कुर्सी थीं। पानीे पीने के लिए एक लोटा था। मेन गेट टूटा हुआ था जिसमें से आसपास के लोग विद्यालय के प्रांगण में आते थे और हैंडपंप के पानी का भरपूर रात-दिन उपयोग करते थे। फसल काटने के मौसम में मजदूर जिन्हें यहां चैतुआ कहा जाता है। यहाँ आ करके दो - दो महीने तक रहते थे। विद्यालय में 1 वर्ष का समय बड़ा संघर्ष भरा था प्रभारी प्रधानाध्यापक इस बात को समझने को तैयार नहीं थे कि विद्यालय की हालत को बदलना चाहिए। एक वर्ष और निकल गया और 2006 की शुरुआत में ही विद्यालय में प्रधानाध्यापक के रुप में श्री कलीम खान साहब का आगमन हुआ जो प्रभारी प्रधानाध्यापक थे उनका कहीं और स्कूल में प्रमोशन हो गया वह यहां से चले गए थे। माननीय कलीम खान साहब का जब आगमन नहीं हुआ था इस दरमियान विद्यालय में लगभग 1 माह से अधिक अकेला रह गया था उस दौरान गांव के युवाओं ने विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था के संचालन के लिए अपना महत्वपूर्ण समय दिया था। मैं उन युवाओं का शुक्रगुजार हूँ और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।

इसके पहले मैं प्राथमिक विद्यालय ककरूवा ब्लाक - मडावरा (ललितपुर) में कार्यरत था। जहाँ छात्रांकन - 325 था। जानकारी मिलती है कि अब वहाँ - 100 बच्चे भी नहीं हैं, ग्रामवासी और बच्चे जो अब युवा हैं याद करते हैं।
2006 में प्रधानाध्यापक के आगमन के साथ ही यह तय किया गया कि विद्यालय को सपनों के विद्यालय के रूप में बनाने के लिए प्रयास करने ही होंगे। प्रांगण में एक पौधा लगाना मुश्किल था, चहारदीवारी टूटी हुई थी और धीरे-धीरे ठीक किया गया। विद्यालय में धीरे-धीरे कायाकल्प होने लगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विद्यालय का अवलोकन किया था और प्रशंसा की और पर्याप्त सहयोग दिया। इसी दरमियान विद्यालय में बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर की व्यवस्था हुई, कंप्यूटर शिक्षण प्रारंभ हुआ, नये कक्ष बने, नया शौचालय बना, विद्युतीकरण हुआ, रसोईघर बना, रनिंग वाटर सप्लाई के लिए समवर्सीवल पम्प लगा, स्काउट बैण्ड तैयार किया गया, बहुप्रतीक्षित बाल संसद भवन - 2012 में बना, विद्यालय में स्मार्ट क्लास के लिए ललितपुर जनपद के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका के टेक्सास में रहने वाले श्री संजीव सिरोठिया जी ने वर्ष 2009 में विद्यालय के लिए एक प्रोजेक्टर और एक लैपटॉप उपलब्ध कराया। बच्चों के लिए यह अनुभव नया था। शिक्षकों के लिए भी यह बड़ी बात थी। वर्ष 2010 में अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक भ्रमण दल ने विद्यालय का अवलोकन किया और सराहना की। संसाधनों की बात क्या करें, अब हालात यह है कि इनका रखरखाव कर पाना मुश्किल लगने लगा है। हम लोगों ने जहाँ विद्यालय के संसाधनों के विकास पर ध्यान दिया वहीं शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी काम किया। 2009 में राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा के साथ साथ राष्ट्रीय आय एवं योग्यता परीक्षा का संचालन शुरू हो गया था पहले ही वर्ष विद्यालय से एक छात्र ने इस में सफलता पाई थी और तब से लेकर आज तक इस वर्ष तक विद्यालय की सफलता का प्रतिशत बढ़ता ही रहा है 2011, 12, 13, 14 , 15 , 16 , 17 , 18 लगातार इन वर्षों में पूरे जनपद से जहां 10 बच्चों ने सफलताएं पाई हैं वहां उच्च प्राथमिक विद्यालय पठा के 7 और 8 बच्चे सफल होते रहे हैं।
विभिन्न विज्ञान या अन्य शैक्षिक मेले हों, चाहे अन्य प्रतियोगिताएं हों, बच्चों ने ना केवल प्रतिभाग किया बल्कि अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ लोगों को अपने बारे में विचार करने पर मजबूर कर दिया। जहाँ हम लोग शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे थे वहीं विद्यालय के बच्चों ने खेल के मैदान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जनपद और मंडल स्तर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी छाप छोड़ी और जीत हासिल की विद्यालय को बेहतर बनाने में विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री कलीम खान साहब जिनकी इमानदारी सहजता समर्पण और टीम भावना के कारण सभी शिक्षकों ने जिनमें है श्री संजीव जैन, श्री मुकेश नायक, श्री प्राणेश भूषण मिश्रा, श्रीमती महिमा जैन, श्रीमती प्रीति, श्री रामलाल जी, श्री बृजेश जी का बहुमूल्य योगदान रहा है, इन सभी की तारीफ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं, सभी ने विद्यालय को बेहतर बनाने और बच्चों को बेहतर करने के लिए रात और दिन एक कर दिए, सभी को अपने जीवन के लिए ढेरों शुभकामनाएं। विद्यालय को ग्राम वासियों ने ग्राम के प्रधान और सदस्यों ने तथा समाजसेवियों ने आवश्यकतानुसार और समय-समय पर अपना पूरा सहयोग दिया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ना केवल उत्साहवर्धन बल्कि विद्यालय को सपनों का विद्यालय बनाने के लिए पूरा सहयोग और समर्थन किया। विद्यालय परिवार शिक्षा विभाग के उन सभी अधिकारियों का हृदय से शुक्रगुजार है।
अब यात्रा का तीसरा चरण शुरू हुआ, 2011 में ए बी आर सी के रूप में चयन होने पर जहाँ पूरे ब्लाक के विद्यालयों के भ्रमण का अवसर मिला, अनेकों प्रशिक्षण , सभी स्तर पर लिए और दिए। लेकिन सभी स्कूलों के बच्चों के लिए कुछ विशेष न कर पाने का मलाल था अतः एबीआरसी (2011 - 2014 ) के पद से त्यागपत्र देकर के अपने विद्यालय को पुनः ज्वाइन किया और लंबे समय से चल रहे मन के विचारों के आधार पर Knowledge Bank - Passbook (जो बाद में प्रोजेक्ट लीप) को 2014 में अपने स्कूल में पहले चरण में लागू किया। आज यह प्रोजेक्ट प्रदेश के आठ जनपद के सौ स्कूलों में इस सत्र में लागू होने जा रहा है। उच्च प्राथमिक विद्यालय पठा इस प्रोजेक्ट की प्रयोगशाला, उद्भव स्थल और सजग गवाह बना है। यह विद्यालय दिनो दिन उन्नति करें यह मेरी कामना है।
अब यात्रा का चौथा चरण शुरू हुआ, पिछले दिनों गांव का एक प्राथमिक विद्यालय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के लिए चयनित किया गया। गांव में आवागमन के रास्ते ठीक ना होने एवं पर्याप्त स्टाफ ना मिलने की संभावना के चलते अंग्रेजी विद्यालय के लिए चयनित शिक्षकों ने यहां आना स्वीकार नहीं किया तब मैंने एक प्रार्थना पत्र देकर माननीय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से निवेदन किया कि मेरी पदस्थापना इस विद्यालय के संचालन के लिए प्रधानाध्यापक के जिम्मेदारी के साथ आदेशित करने की कृपा करें।माननीय जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय ने मेरा अनुरोध स्वीकार किया। तब मैंने 26 अप्रैल 2018 को अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक विद्यालय पठा का चार्ज ग्रहण कर लिया है। अब मैं हूँ, Principal EMPS Patha, इसके बारे में फिर कभी ..... । लेकिन इतना अभी बता दें कि दस दिन में लक्ष्य से अधिक प्रवेश हो गए , 110 के मुकाबले कुल 120, पिछले साल 100 बच्चे थे , नये प्रवेश 34 , प्रवेश प्रक्रिया बन्द कर दी गई है, अगले साल के लिए अभिभावकों ने अपने बच्चों के प्रवेश के लिए अभी से नामांकन करा दिया है।
शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए आप सभी के प्रयासों की कड़ी में उच्च प्राथमिक विद्यालय के पठा के शिक्षकों के योगदान को शामिल करने के लिए अनुरोध है।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
कृष्ण मुरारी उपाध्याय























👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--

👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।

👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।

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साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०

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धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
28/05/2018

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