वो अमिया

श्रावण का माह था। रामपुर सहित कई जनपदों में मौसम विभाग द्वारा आँधी ,तूफान की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट विद्यालय कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के बंद करने के आदेश हो गए। आँधी, तूफान की खबरें अगले दिन अखबार में पढ़ने को मिलती हैं। छुट्टी से अगले दिन  विद्यालय पहुँचता हूँ और साफ़ सफाई, प्रार्थना आदि करा लेने के बाद ऑफिस में आता हूँ, तभी एक बच्चा एक थैली में लगभग 5 ,6 अमिया लेते हुए मेरे पास आता है और कहता है सर जी  यह आपके लिए मैं कुछ अमिया लाया था और मुझे देता है। मैं पहले मना कर देता हूँ। तो इस पर वह थोड़ा उदास हो जाता है मुझे बच्चे का चेहरा और भावना आहत होते हुए प्रतीत होती है। फिर मैं उससे पूछता हूँ कि बेटे आप क्यों लाए।
वह कहता है कि सर कल जब मैं बाग में गया तब मैं घर के लिए भी अमिया इकट्ठी कर रहा था तभी मेरे मन ने आपके बारे में सोचा कि सर के लिये भी कुछ अमिया रख लूँ और इसलिए मैं ले आया।। जहाँ तक एक शिक्षक के लिए एक बच्चे से भावनात्मक जुड़ाव का यह उदाहरण मुझे प्रतीत होता है कि वह बाग में गया और बाग में उसे अपने शिक्षक का ध्यान आता है। एक शिक्षक के रूप में कहीं ना कहीं बच्चे की यह भावनाएँ  मेरे प्रति जब तक मेरे मन में रहेंगी मुझे असीम प्रसन्नता प्रदान करती रहेगीं। हालांकि अमिया बाजार में आसानी से उपलब्ध है और उनका मूल्य भी करीब 10 से ₹15 किलो है परंतु बच्चे की भावनाएँ मेरी स्मृतियों में जीवन भर के लिए अनमोल रहेंगी ।
जय हिंद जय भारत

लेखक 
प्रमोद कुमार
सहायक अध्यापक ,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय धावनी हसनपुर ,
विकास खण्ड - बिलासपुर ,
जिला - रामपुर, उत्तर प्रदेश।

Comments

  1. बिल्कुल सर
    लगभग यही अनुभव प्रतिदिन का है जब बच्चे आम नमकीन जलजीरा आदि कुछ न कुछ जो अपने लिए खरीदते लाते हैं वो मुझे जबर्दस्ती देने का प्रयास करते हैं तो मुझे भी असीम प्रसन्नता का अनुभव होता है। यह सब मधुर स्मृतियाँ ही हैं

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