भारत की सबला नारी

मैं भारत की सबला नारी हूँ।
दुष्टों और दुर्जनों के लिए,
मैं शोला हूँ,मैं चिनगारी हूँ।
मैं भारत की सबला नारी हूँ।।
     मैं विश्व की सृष्टि हूँ,मैं दृष्टि हूँ।
     बाग-बागीचों की खुशबू हूँ मैं।
     माली हूँ,पुष्पों की फूलवारी हूँ।
     मैं भारत की सबला नारी हूँ।।
पढ़ने की,आगे बढ़ने की,
मन में तमन्ना रखती हूँ।
आदि शक्ति,प्रकृति की प्यारी हूँ।
मैं भारत की सबला नारी हूँ।।
      विश्वास हूँ,मन की आस भी।
       दूर कल्पनाओं के पास भी।
      आँसू,ममता,खुशियाँ सारी हूँ।
मैं कवियों की कविता भी हूँ।
चट्टान भी,मैं सरिता भी हूँ।
सीता,सावित्री,झाँसी की रानी हूँ।
मैं भारत की सबला रानी हूँ।। 

रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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