बाल पहेलियाँ

1--लम्बी अपनी सूंड़ हिलाता
   गन्ना खाना उसको भाता,
   सूप जैसे कान हिलाता
   बड़े-बड़े दो दाँत दिखाता।।
       (हाथी)

2--शिक्षा सबको यहाँ है मिलती
     बच्चे सीखते पहाड़े -गिनती
     अच्छे बच्चे तुम बन जाओ
      झट पट मेरा नाम बताओ।।
            (स्कूल)

3--सुबह-शाम मैं जब भी आऊँ
    उछल कूद मैं खूब मचाऊँ
   कभी पेड़ की चढ़ डाली पर
  जोर जोर से उसे हिलाऊँ।।
          (बन्दर)

4--घर की वह रखवाली करता
     वफादार मालिक का होता
    चोरों से वह कभी न डरता
    अजनबियों पर भौं-भौं करता।
             (कुत्ता)

5--दबे पाँव मैं अंदर आऊँ
    म्याऊँ-म्याऊँ करती जाऊँ
   पकड़-पकड़ चूहे मैं खाऊँ
   चुपके से मैं दूध पी जाऊँ।।
          (बिल्ली)

रचयिता
ओमकार पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय किरतापुर,
विकास क्षेत्र-सकरन,
जनपद सीतापुर।

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