मैं क्या करती हूँ
करते ही क्या हो तुम ये सवाल समाज अक्सर पूछा करता है,
काम तुम कुछ करते नहीं ये पल-पल सुनना पड़ता है,
न्यूज़ चैनल पर रोज ही तो नकारात्मकता परोसी जाती है,
शिक्षक में एक खलनायक की छवि दिखायी जाती है,
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हे बताती हूँ...........
प्रत्येक शिक्षक के मन के मैं भाव तुम्हें बताती हूँ....
जब इन ताना देने वालों के बच्चे कूलर A.C. में सोया करते हैं,
हमारे स्कूलों के बच्चे तप्ती गर्मी में खेतों में गेहूँ काटा करते हैं,
मैं इन बच्चों की आंखों में उज्जवल भविष्य का सपना दिखाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हे बताती हूँ..…...
माता पिता भी गरीबी अज्ञानता में घिरे हुए हैं,
कुछ पैसे कमाने में बच्चे भी साथ मे लगे हुए हैं,
शिक्षा की चिंता कौन करे ये बेचारे तो दो वक्त की रोटी कमाने में जुटे हुए हैं,
मैं इनकी शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधे पे उठाती हूँ,
कभी कभी शिक्षक के साथ अभिभावक की भूमिका भी निभाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ आज तुम्हे बताती हूँ......
इन सभी विपरीत परिस्थिति में भी एक सिपाही की तरह अडिग हो मैं लड़ती हूँ,
कैसे भी बस ये बच्चे पढ़ जाए ये ही सोचा करती हूँ,
अनेक ड्यूटी कोई काम मुझे नहीं डराया करते हैं,
पर समाज के ये ताने मेरे मन को मैला करते हैं,
फिर उठ नई उर्जा से अपने कार्य में लग जाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ ये आज बताती हूँ,
ये मेरी नहीं प्रत्येक शिक्षक की कहानी है
हर शिक्षक की यही परेशानी है,
बन्द करो ये प्रतिकूल बातावरण बनाना,
इन परिस्थिति में आकर कार्य करो तब बताना
मैं क्यों करूँगी विश्वासघात अपने दायित्वों से,
मैं अपना कार्य पूरी निष्ठा से निभाती हूँ
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हें बताती हूँ।
रचयिता
इंदु शर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अनवरपुर,
जनपद-हापुड़ ।
काम तुम कुछ करते नहीं ये पल-पल सुनना पड़ता है,
न्यूज़ चैनल पर रोज ही तो नकारात्मकता परोसी जाती है,
शिक्षक में एक खलनायक की छवि दिखायी जाती है,
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हे बताती हूँ...........
प्रत्येक शिक्षक के मन के मैं भाव तुम्हें बताती हूँ....
जब इन ताना देने वालों के बच्चे कूलर A.C. में सोया करते हैं,
हमारे स्कूलों के बच्चे तप्ती गर्मी में खेतों में गेहूँ काटा करते हैं,
मैं इन बच्चों की आंखों में उज्जवल भविष्य का सपना दिखाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हे बताती हूँ..…...
माता पिता भी गरीबी अज्ञानता में घिरे हुए हैं,
कुछ पैसे कमाने में बच्चे भी साथ मे लगे हुए हैं,
शिक्षा की चिंता कौन करे ये बेचारे तो दो वक्त की रोटी कमाने में जुटे हुए हैं,
मैं इनकी शिक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधे पे उठाती हूँ,
कभी कभी शिक्षक के साथ अभिभावक की भूमिका भी निभाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ आज तुम्हे बताती हूँ......
इन सभी विपरीत परिस्थिति में भी एक सिपाही की तरह अडिग हो मैं लड़ती हूँ,
कैसे भी बस ये बच्चे पढ़ जाए ये ही सोचा करती हूँ,
अनेक ड्यूटी कोई काम मुझे नहीं डराया करते हैं,
पर समाज के ये ताने मेरे मन को मैला करते हैं,
फिर उठ नई उर्जा से अपने कार्य में लग जाती हूँ,
मैं क्या करती हूँ ये आज बताती हूँ,
ये मेरी नहीं प्रत्येक शिक्षक की कहानी है
हर शिक्षक की यही परेशानी है,
बन्द करो ये प्रतिकूल बातावरण बनाना,
इन परिस्थिति में आकर कार्य करो तब बताना
मैं क्यों करूँगी विश्वासघात अपने दायित्वों से,
मैं अपना कार्य पूरी निष्ठा से निभाती हूँ
मैं क्या करती हूँ ये आज तुम्हें बताती हूँ।
रचयिता
इंदु शर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अनवरपुर,
जनपद-हापुड़ ।
अति उत्तम
ReplyDeleteTeachers ki bhavnao ki sateek abhivyakti. Good
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