शब्द

शब्द ही पीड़ा शब्द ही राहत
शब्द ही करते मन को आहत

शब्द ही संसार शब्द ही सागर
शब्द ही भरते मन की गागर

शब्द ही गुरु शब्द ही ज्ञान
शब्द ही बनाते हमें महान

शब्द ही वर शब्द ही वरदान
शब्द ही फूंकते मुर्दे में जान

शब्द ही गीता शब्द ही कुरान
शब्द ही हिन्दू और मुसलमान

शब्द ही जीवन शब्द ही प्राण
शब्द ही बोली और पहचान

शब्द ही फूल शब्द ही शूल
शब्द ही वाणी का है मूल।।

रचयिता
नरेंद्र प्रताप सिंह,
प्राथमिक विद्यालय खजुहा,
विकास खण्ड-गुगरापुर,
जनपद-कन्नौज।



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