मुझे यह सब देना है
मुझे यह सब देना है
जब मैं इस दुनिया को छोड़ दूँ
उसके तुरंत बाद मेरा हृदय उस नौजवान को देना
जिसे अभी अपने कुनबे का पेट भरना है
मेरे खून का एक एक कतरा उस आंचल को देना
जिसे अभी तक उम्र की उड़ान लेनी है
उसके अंदर खून की कमी है
मेरी त्वचा का जर्रा जर्रा उस लड़की को देना
जिसके चेहरे को तेजाब ने जला दिया है हैवानों ने
सबसे कीमती चीज है मेरी आँखें
मेरी आँखें उस चंचल को देना जो कभी देख ना पाया हो
मेरे अंतिम संस्कार में कुछ बची हुई बुराईयों को जला देना
मेरी राख को फूलों पर बिखेर देना
ताकि वह बेहतर खिल सकें
मुझे यह सब देना है
क्योंकि किसी में तो जिंदा रहना है मरने के बाद भी
रचयिता
विदिशा मन्द्रेश पंवार,
सहायक शिक्षिका,
उच्च प्राथमिक विद्यालय जतुली,
विकास खंड-हरियावां,
जनपद-हरदोई।
जब मैं इस दुनिया को छोड़ दूँ
उसके तुरंत बाद मेरा हृदय उस नौजवान को देना
जिसे अभी अपने कुनबे का पेट भरना है
मेरे खून का एक एक कतरा उस आंचल को देना
जिसे अभी तक उम्र की उड़ान लेनी है
उसके अंदर खून की कमी है
मेरी त्वचा का जर्रा जर्रा उस लड़की को देना
जिसके चेहरे को तेजाब ने जला दिया है हैवानों ने
सबसे कीमती चीज है मेरी आँखें
मेरी आँखें उस चंचल को देना जो कभी देख ना पाया हो
मेरे अंतिम संस्कार में कुछ बची हुई बुराईयों को जला देना
मेरी राख को फूलों पर बिखेर देना
ताकि वह बेहतर खिल सकें
मुझे यह सब देना है
क्योंकि किसी में तो जिंदा रहना है मरने के बाद भी
रचयिता
विदिशा मन्द्रेश पंवार,
सहायक शिक्षिका,
उच्च प्राथमिक विद्यालय जतुली,
विकास खंड-हरियावां,
जनपद-हरदोई।
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