चला सखी स्कूल में
गाँव शहर में धूम मचल बा
चला सखी स्कूल में।
पढ़ि-लिख जीवन सफल बनावा,
नाहीं मिलि जइबू धूल में।।
काला अक्षर भैंस बराबर,
अनपढ़ लोगवा होला।
ज्ञानी जन इ कथा सुनावै,
गाँव, शहर और टोला।
अनपढ़ लोगवा वैसे, जैसे
गंध न होवे फूल में।।1।।
आज गाँव में गुरुजन आये,
साथ में सारे बच्चे आये।
अनपढ़ बीवी नाटक कराये,
देख के मनवा मोर घबराये।
मम्मी से कहिके नाम लिखाइब,
सरकारी स्कूल में।।2।।
रोज-रोज स्कूल हम जाइब,
भैंस, बकरिया साँझ के चराइब।
पढ़ि-लिख के स्कूल से आइब,
छुटके भइया के खूब पढ़ाइब।
बिगड़ि जाई जिनगी सखी,
छोटी सी भूल में।।3।।
सर्व शिक्षा अभियान चलत बा,
मुफ्त में स्वेटर ड्रेस बँटत बा।
जूता, मोजा, बैग मिलत बा,
गरम-गरम एम0डी0एम0 बनत बा।
पुस्तक, दूध, फल मिले 'अनाड़ी',
जिन चिन्ता करा फिजूल में।।4।।
रचयिता
ठाकुर प्रसाद विश्वकर्मा,
प्राथमिक विद्यालय पट्टी,
विकास खण्ड-शाहगंज,
जनपद-जौनपुर।
चला सखी स्कूल में।
पढ़ि-लिख जीवन सफल बनावा,
नाहीं मिलि जइबू धूल में।।
काला अक्षर भैंस बराबर,
अनपढ़ लोगवा होला।
ज्ञानी जन इ कथा सुनावै,
गाँव, शहर और टोला।
अनपढ़ लोगवा वैसे, जैसे
गंध न होवे फूल में।।1।।
आज गाँव में गुरुजन आये,
साथ में सारे बच्चे आये।
अनपढ़ बीवी नाटक कराये,
देख के मनवा मोर घबराये।
मम्मी से कहिके नाम लिखाइब,
सरकारी स्कूल में।।2।।
रोज-रोज स्कूल हम जाइब,
भैंस, बकरिया साँझ के चराइब।
पढ़ि-लिख के स्कूल से आइब,
छुटके भइया के खूब पढ़ाइब।
बिगड़ि जाई जिनगी सखी,
छोटी सी भूल में।।3।।
सर्व शिक्षा अभियान चलत बा,
मुफ्त में स्वेटर ड्रेस बँटत बा।
जूता, मोजा, बैग मिलत बा,
गरम-गरम एम0डी0एम0 बनत बा।
पुस्तक, दूध, फल मिले 'अनाड़ी',
जिन चिन्ता करा फिजूल में।।4।।
रचयिता
ठाकुर प्रसाद विश्वकर्मा,
प्राथमिक विद्यालय पट्टी,
विकास खण्ड-शाहगंज,
जनपद-जौनपुर।
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