रक्षाबन्धन

सावन मास पूर्णिमा के दिन, 

आता ये अनुपम त्योहार|

कच्चे धागों से बँध जाता, 

जनम-जनम का प्यार||


दूर देश से आई बहना, 

भाई करे इन्तजार|

रक्षाबन्धन कितना पावन, 

राखी का त्योहार||


चौक पूर पाटा बैठाकर, 

रोली चन्दन अरू भाल|

कजरियाँ धर थाली सजाकर, 

आरती बारम्बार||


पेडा़, बर्फी और रसगुल्ला, 

मिठाई की होवे भरमार|

दे आशीष भाई को बहना, 

खुशियों की होवे बौछार||


प्रेम प्रीत से सराबोर है, 

भाई-बहन का प्यार|

सदियों से रीत चली आई , 

पडे़ इसमें न कोई दरार||


रचयिता

रीता गुप्ता,

सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कलेक्टर पुरवा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।



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