कृष्णा

मुरली  इतराई,

जब बन गई अधरों की शान,

समा गईं जब लहरें साँसों की,

छिड़ गई  मधुर  तान।


सुन मधुर ध्वनि मुरली की,

सुध-बुध भूला हर इंसान,

फैली जब तरंगें साँसों की,

जाग गया इन्सान।


छेड़ दो मधुर संगीत ऐसा ही,

खुश हो जाए हर अनजान,

नम आँखें हो जाएँ चमकीली,

आ जाए सबमें  जान। 


है कर्मों  की  बलिहारी,

मोर पंख बना माथे की शान,

देख मयूरा इतराई, बोली,

कृष्णा, डाल दी खूबसूरती में जान।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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