राखी

खो रही रिश्तों की मर्यादा,

मुश्किल में संसार बड़ा।

खुशनसीब है वह बहना,

भाई जिसके साथ खड़ा।।


रिश्ता भाई-बहन का पावन,

बँधे विश्वास की डोर से,

बहना प्यार बाँधे कलाई पर,

वचन भाई की ओर से।।


चन्दा सा मुखड़ा भैया का,

सूरज का तेज चमके।

रीति सनातन बँधी हाथों में,

हीरे के जैसे दमके।।


बचपन की खट्टी-मीठी याद,

नजरों से पल में गुजर जाए।

जिस बहन का भाई दूर हो,

वह राखी कैसे मनाए।।


सरहद की रक्षा में भैया,

चिट्ठी में राखी जब पाए।

देख खुशी उसकी आँखों की,

वसुन्धरा भी मुस्काए।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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