आजादी

आजादी क्या होती है?

पिंजरे के एक पंछी से पूछो।

आजादी क्या होती है?

 एक कारागार कैदी से पूछो।

आजादी की खातिर कितने?

बेटों को बलिदान किया!

उन बेटों की जन्म दात्री,

 एक बलिदानी माँ से पूछो।

जिस मिट्टी में फसल उगाकर

अपने बच्चों का पेट हैं भरते,

उस मिट्टी में बलिदान हुई

हर एक रक्त की बूँदों से पूछो।

देश की आजादी में हमने

कितने वीर सपूत गँवाए?

हर वीर सपूत की अमर कथा

इतिहास के हर पन्नों से पूछो।

लड़ते हैं जो धरती माँ के  

 टुकड़े करके आपस में हम।

किसकी है वो धरती माँ?

उस धरती माँ से तुम पूछो।

कितने अरसे बीत गए? 

आजाद हुए भारत माँ को,

पर क्या समझ सके आजादी?

 अपने अंतर्मन से पूछो।

 अपने अंतर्मन से पूछो।

आओ करें संकल्प, स्वतंत्रता 

 दिवस की पावन बेला पर,

क्या रहोगे समर्पित देश की खातिर?

हर परिस्थिति में हर पल हर क्षण,

आने वाली नई पीढ़ी के,

 नव अंकुरित पौधों से पूछो।

स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर,

विजय तिरंगा फहराए हम।

विश्व धरातल पर आओ,

अपना परचम लहराए हम।

मत भूले उन वीरों को,

जो शान बने तिरंगे की।

ध्वज लहरा कर समाधि पर 

 श्रद्धा सुमन अर्पित करते जाएँगे।

क्या देश की खातिर ऐसे ही 

 पथ पर बढ़ते जाओगे?

तिरंगा लहराते....

 उन हर हाथों से पूछो।

उन हर हाथों से पूछो


रचयिता 

रविंद्र कुमार "रवि" सिरोही, 
एआरपी, 
विकास खण्ड-बड़ौत,
जनपद-बागपत।

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