जन्म लियो अवतार मोहन

जन्म लियो अवतार  मोहन,

हर्षित  है  अपार  जन-जन।


चरण कमल  चंचल  हैं अंखियाँ,

प्रेम  राग  से, गुंजित  है उपवन।


साँवली  सूरत  मोहनी मूरत,

पीतांबर  वसन  सोहे  बदन।


नंद  किशोर  तुम  हो त्रिपुरारी,

दर्शन दो,  पुलकित  है तन-मन।


सकल  जगत  तब  हुआ निहाल,

बाजे झांझ, मजीरा, हो शंखनाद।


भादो अष्टमी रात, थी  वह  कमाल,

द्वारपाल सोये, नहीं कोई  रखवाल। 


वृंदावन  में  तुमने  रास रचाया, 

गोकुल  में  तूने  गैय्या  चराया।


सबको  गीता  का  ज्ञान  दिया,

सत्य  अटल  है यह भान दिया।

 

भवनिधि केशव तुम  तारणहार,

लीलाधर शरण में लेलो गोपाल।


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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