मच्छर

छोटे-छोटे मच्छर ये,

बड़े बड़ों पर भारी हैं।

घर-घर में जाकर ये,

फैलाते रोग संचारी हैं।


गंदे और दूषित पानी में,

पनपते हैं ये मच्छर।

आँख मिचौली खेलें नित,

करते मनमानी मच्छर।


जब चाहें तब काटें हमको,

करते शैतानी मच्छर।

डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारी,

फैलाते हैं मच्छर।


सूर्यास्त से पहले काटें हमें,

देखो डेंगू के मच्छर।

सूर्यास्त के बाद जो काटें,

वो हैं मलेरिया के मच्छर।


एनोफिलीज काटे जब,

मलेरिया हमको हो जाए।

आए तेज बुख़ार हमें फिर,

हमको बिस्तर पकड़ाए।


हो जाए मलेरिया हावी जो,

मष्तिष्काघात कर जाए।

ले ले जान हमारी फिर,

हमको बड़ा रुलाए।


सिर दर्द, उल्टी होने लगे,

कमजोरी भी सताए।

जोड़ों में दर्द और आँखों का,

रंग पीला पड़ जाए।


ठण्ड से काँपे तनमन सारा,

और तेज बुखार आ जाए।

खून की कमी हो जाए फिर,

कमजोरी हमें सताए।


देर करें ना ऐसे में तनिक भी

तुरन्त डॉक्टर को बुलाएँ।

टेस्ट कराकर सारी दवाइयाँ,

ठीक समय पर खाएँ।


मलेरिया से बचने को हम,

घरेलू नुस्खे आजमाएँ।

अमरूद, तुलसी व अदरक,

रोगी को सेवन कराएँ।


नीम, गिलोय के काढ़े में,

थोड़ा शहद मिलाएँ।

काली मिर्च भी रोगी को,

काढ़े संग पिलाएँ।


तन अपना ढककर रखें,

मच्छरदानी लगाएँ।

मच्छर लोशन, आल आउट,

भी उपयोग में लाएँ।


घर के अन्दर और बाहर,

पानी एकत्र ना होने दें।

मच्छरों को पनपने का,

हम बिल्कुल ना मौका दें।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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