माखनलाल चतुर्वेदी

4 अप्रैल 1888 को उदय हुआ नक्षत्र,

माखनलाल चतुर्वेदी नाम था प्रसिद्ध,

साहित्य जगत के प्रखर थे लेखक,

गद्य -पद्य दोनों थे लेखन के क्षेत्र।


संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी  और गुजराती,

भाषा  इनको स्वाध्याय से आती,

स्वतंत्रता आंदोलन को देखा मुखर,

महात्मा जी के सत्याग्रह के बन गए साथी।


राष्ट्रभक्त, कुशल अध्यापक और रचनाकार,

पत्रकारिता, साहित्य सेवा को दिया आकार,

रचनाओं में देश प्रेम की भावना थी प्रबल,

समर्पित थे आजादी का स्वप्न करने में साकार।


"हिमकिरीटनी," "हिमतरंगिणी" और "समर्पण" लिखी,

"साहित्य के देवता," "समय के पाँव में" विधा निखरी,

"रेणु लो गूँजे धरा" की क्या कहूँ अब बात,

प्रत्येक रचना में एक नई ज्वाला दिखी।


1943 में "देव पुरस्कार" झोली में आया,

1955 में "साहित्य अकादमी पुरस्कार" पाया,

1963 में "पद्मभूषण" जैसा सम्मान पाया,

भोपाल का पत्रकारिता कॉलेज इनके नाम पर आया।


10 सितंबर 1967 राजभाषा संविधान विधेयक आया,

सह न सके अपमान "पद्मभूषण "लौटाया,

30 जनवरी 1968 अस्त  हुआ यह तारा,

पुष्प की अभिलाषा में अपना मंतव्य बताया।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


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