धरती का है सफर

तर्ज:- सुन मेरे हमसफ़र


धरती का है सफर,

क्या तुम्हें इतनी सी भी खबर,


धरती का है सफर,

क्या तुम्हें इतनी सी भी खबर,

कि इसके हैं कितने रंग,

रहते हैं यहाँ जन-जन।।


नीले-नीले आसमान में आते हैं

पक्षी यहाँ सुर में गाते हैं।।

जीव जंतु आते-जाते हैं।

फैली चारों तरफ हरियाली

रहती हमेशा है खुशहाली।।


धरती का है सफर,

क्या तुम्हें इतनी सी भी खबर,


पर्वत पहाड़ हैं

नदियाँ पठार हैं

वक्त कभी तुम गुजारो।।

इसके वरदान को

तुम पहचान लो

कुछ ऐसे तुम सँवारो।।


इसी से हमे साँस मिलती है

जिंदगी हमेशा खिलती है।

पृथ्वी हम सबको देती है।

पेड़-पौधे जान हमारी।

इसकी करो रखवारी। 


विविधता से भरी,

कहीं तो लाल कहीं हरी।

ज्यादा न करो दोहन,

न फिर कर सको शोधन।।


धरती का है सफर,

क्या तुम्हें इतनी सी भी खबर.....


रचयिता
सुधांशु श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मणिपुर,
विकास खण्ड-ऐरायां, 
जनपद-फ़तेहपुर।

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