बैसाखी

बैसाखी का त्योहार है आया,

संग अपने है खुशियाँ लाया।

भारतवर्ष का पर्व है यह,

हर्षोल्लास का यह दिन आया।


 खालसा पंथ की स्थापना की,

 दसवें गुरु गोविंद साहब ने।

 बलिदान का आह्वान किया,

 पंच प्यारों संग मिलकर के।


 नए साल के आगमन पर,

 पंजाब में विशेष धूम है।

 फसलें लहलहाती हैं पककर,

 किसानों के मन में सुकून है।


आज के दिन गुरुद्वारों में,

अरदास गाई जाती है।

 मेले लगते जगह-जगह पर,

 खुशियाँ मनाई जाती हैं।


 अलग-अलग हैं नाम इसके,

 असम में -बीहू,

 उड़ीसा-विश्व सक्रांति,

 आंध्र तेलंगाना में उगाड़ी,


 उत्तराखंड में कहें -बिखू, बिखौती,

 प्रयागों में स्नान होते हैं।

 मिलन होता ध्याणियों (बेटियों) से,

 और भिटौली (कलेवा) देते हैं।


 मेष राशि में प्रवेश सूर्य का,

 बैसाख सक्रांति भी कहते हैं।

 आगाज होता है खुशियों का,

 ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।


 अपनी मेहनत देखकर किसान,

 आनंदित होकर हर्षाता है।

 शुक्रिया परम परमेश्वर का,

 जो दया अपनी बरसाता है।


रचयिता

बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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