पृथ्वी को बचाना ही होगा

प्रकृति का उपहार है धरती,

हम सबका पोषण है करती,

इसे सुरक्षित रखने को,

हमें हाथ बढ़ाना ही होगा,

जीवन अगर बचाना है तो,

धरती को बचाना ही होगा।

हरे-भरे वृक्षों को मत काटो

ये देते हैं फूल और फल,

शुद्ध हवा इनसे मिलती है,

 मिलता है इनसे  ही जीवन,

वायु प्रदूषण से बचने को,

पेड़ अधिक लगाना ही होगा। 

जीवन अगर बचाना है तो,

धरती को बचाना ही होगा।

कल-2 करती बहती नदियाँ,

इनमें कचरा मत डालो,

मत करो प्रदूषित निर्मल जल को,

जल जीवों के प्राण बचालो,

 भावी  पीढ़ी  के  खातिर,

 नदियों को बचाना ही होगा,

जीवन अगर बचाना है तो

धरती को बचाना ही होगा।

कहीं बाढ़, कहीं सूखा,

कहीं तांडव कर रही सुनामी,

ग्लोबल वार्मिंग के संकट से,

काँप रही दुनिया सारी,

पृथ्वी संरक्षण हेतु  सभी को,

मिलकर कदम बढ़ाना ही होगा।

जीवन अगर बचाना है तो,

धरती को बचाना ही होगा।

धरती को बचाना ही होगा


आओ पृथ्वी बचाएँ, जीवन बचाएँ।


रचयिता
उषा त्रिवेदी,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट,
विकास खण्ड-नरेंद्र नगर,  
जनपद-टिहरी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

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