धन्य राम

धन्य धन्य सब धन्य,

धन्य राम का जन्म। 

धन्य धरा हुई धन्य, 

धन्य धन्य सब धन्य।। 


धन्य अयोध्या की धूलि, 

धन्य कौशिल्या की ओली,

धन्य दशरथ जी का भवन, 

धन्य प्रभु जी का आगमन।। 


धन्य वशिष्ठ जी का गुरुकुल, 

धन्य आश्रम जहाँ  रघुबर। 

धन्य अरुंधति के पकवान, 

धन्य जहाँ जैवें श्री राम।।


धन्य विश्वामित्र की यज्ञशाला,

धन्य राक्षसन को मारनवाला।

 धन्य जनक की धनुषशाला,

 धन्य धनुष को तोड़न वाला।। 


धन्य जनक जी का नेम, 

धन्य जानकी का प्रेम।

धन्य सुनैना की ममता, 

धन्य सियाराम की समता।


धन्य अयोध्या की गलियाँ,

धन्य  वर वधू की बधाइयाँ। 

धन्य दशरथ के 2 वचन, 

धन्य प्रभु का वन गमन।।


धन्य भरत की नीति, 

धन्य लखन की प्रीति।

धन्य शत्रुघ्न का योग, 

धन्य उर्मिला का सहयोग।।


धन्य निषाद की सरलता, 

धन्य सुग्रीव की मित्रता।

धन्य शबरी की भक्ति,

धन्य हनुमत की युक्ति।।


धन्य विभीषण का समर्पण, 

धन्य रावण का अहिवरण।

धन्य रावण की मुक्ति, 

धन्य राम की शक्ति।।


धन्य राम की प्रीति,

धन्य भक्त की भक्ति।

धन्य जीव की मुक्ति,

धन्य राम की शक्ति ।।


रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ, 
जनपद-बाँदा।



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