जीवन पथ

जीवन पथ की राह कठिन है,
सँभलकर कदम बढ़ाना होगा।
परिश्रम ,धैर्य और बुद्धि बल से,
काँटों को पुष्प बनाना होगा।

चुनौती विहीन जीवन भी  क्या है?
चुनौतियाँ ही सामर्थ्य की गवाह हैं।
पुरुषार्थी भला कहाँ इनसे डरते हैं?
चुनौतियों  के सिर पर कदम धरते है,
ज्ञान विवेक को प्रयोग में लाकर,
निरंतर सफलता को पाना होगा।

जीवन पथ की राह कठिन है,
सँभलकर कदम बढ़ाना होगा।

राह रोके जब अज्ञानता तुम्हारा,
तुम्हें शिक्षा अस्त्र चलाना होगा।
यदि नफरतों का तिमिर मिले तो,
मुहब्बत का दीप जलाना होगा।
साहस, नैतिकता, उच्च मनोबल से
हर समस्या पर विजय पाना होगा।

जीवनपथ की राह कठिन है,
सँभलकर कदम बढ़ाना होगा।

भयभीत होते है कायर अपने अंत से,
वीरों के लिए तो संघर्ष भी हैं सदा बसंत से।
उदय के साथ ही अस्त की शुरुआत हो जाती है,
प्रकृति हमें यही रहस्य तो समझाती है।
हार जीत की चिंता त्याग कर तुम्हें,
कर्तव्य पथ पर कदम बढ़ाना होगा।

जीवन पथ की राह कठिन है,
सँभलकर कदम बढ़ाना होगा।

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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