बेटियाँ

मुस्कुराती, खिलखिलाती
बढने लगी हैं बेटियाँ,
पढ़ने लगी हैं बेटियाँ!

मीराबाई की विरासत
कल इन्हीं के हाथ होगी
इन्दिरा प्रियदर्शिनी सी
ऊर्जा भी साथ होगी,
बन बछेन्द्री पाल, नग
चढ़ने लगी हैं बेटियाँ
पढ़ने लगी हैं बेटियाँ!

रोशनी परिवार की हैं
प्रेरणा की स्रोत हैं
बेटियाँ सुषमा, अरूणिमा
साइना, नवजोत हैं!
अन्तरिक्ष में कल्पना
गढ़ने लगी हैं बेटियाँ!
पढने लगी हैं बेटियाँ!

रचयिता
कुहू बनर्जी,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अटकोहना,
विकास खण्ड-नकहा,
जनपद-लखीमपुर खीरी।

Comments

  1. बनकर के झांसी की रानी,
    सीमाओं पर अब लड़ने लगीं हैं बेटियाँ।
    सजातीं हैं परिवार को,
    संजोती हैं संस्कार को,
    सुख दुख को साथ मिलाकर,
    तश्वीरें मढ़ने लगी हैं बेटियां।।
    पढ़ने लगी हैं बेटियाँ, पढ़ने लगी हैं बेटियाँ।।।।


    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति....बधाई💐💐💐

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