कारगिल विजय दिवस

हाथों में ले विजय पताका
देश के वीर जवान चले।

पाक तेरी अब खैर नहीं,
फौलादी सीना तान चले।

 तू कारगिल पर काबिज हो
तेरी इतनी औकात नहीं।

सामने आके लड़े लड़ाई
तुझमें ऐसी बात नहीं।

उधारी के हथियारों से
युद्ध नहीं  जीते जाते।

4 बार तू हुआ पराजित
हम हैं फौलादी चीते।

हम प्रलयंकर की संतानें
भस्मीभूत करें पल में।

शत शत सिंहों की सामर्थ्य
रखते हैं अपने भुजबल में।

पांचजन्य का विजयनाद
गूँजेगा कारगिल की घाटी पर

हम बलिदानी नाज हमें है
बलिदानी परिपाटी पर।

जब लड़ना हो सामने आजा
हम ताल ठोंककर कहते हैं।

पञ्चशील के हम अनुयायी
पर लड़ने से न डरते हैं।।

कश्मीर की धरती पर
जो कब्जा करने आएगा।

उसके सौ-सौ टुकड़े कर दें
जो हमसे टकराएगा।।

रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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