भावी पीढ़ी का निर्माण : एक चिंतन

एक बोध कथा पढ़ी थी जिसमें एक तितली के अंडे के छोटे से छेद में से एक बच्चा निकलने का जीतोड़ प्रयास कर रहा है और एक आदमी दयालुतावश पिन से उस छेद को बड़ा कर देता है।
बच्चा आराम से निकल तो आता है किंतु कभी उड़ नहीं पाता क्योंकि संघर्ष के अभाव में उसके पंख विकसित नहीं हो सके।

यह कहानी इन दिनों याद इसलिए आयी क्योंकि आज के बच्चों को जिन सुख-सुविधाओं के साथ पाला जा रहा है (और अनेक बार तो जागरुक parenting के तर्क के साथ) कि संदेह होता है कि कहीं इन बच्चों के पंख भी अविकसित तो नहीं रह जाएंगे?

पैसे की दिक्कत नहीं है तो आज का बच्चा 

* AC में रहता है।
* कार/बाइक से स्कूल जाता है।
* धूप में छाता तानता है।
* Facial cream, deodorant आदि का प्रयोग करता है।
* RO का पानी पीता है।
* Fast-food के साथ diet-chart भी follow करता है।
* Gym, yoga (योग नहीं) 'join' करता है।
* अधिकांश कामों के लिए मशीनों पर निर्भर है।
* मौलिक चिंतन की बजाय Technology के use से 'used to' होते हुए अपने project पूरे करता है।
* Internet पर search 'मारने' वाला techno-savvy बंदा है।

दूसरी तरफ तितली के अंडे से अपने दम पर निकलने की कोशिश करने वाले ये लोग हैं :-

* जेठ की दुपहरी में रिक्शा खींचने वाले गरीब,
* खेतों में नंगे पैरों मिट्टी-धूप से पकते किसान,
* खुले आसमान के नीचे बेखटके विचरते, 
नहरों के 'गंदे पानी' में जमकर नहाते और 
गिरने से बेखौफ पेड़ों पर चढ़ते बच्चे,
* मीलों पैदल चलने को 'बस थोड़ी ही दूर तो है' कहने वाले जिगर,
* रात की 'बासी रोटी' खाकर भी स्वस्थ रहने वाली पीढ़ियाँ,
* मशीनों की बजाय 'अपना हाथ जगन्नाथ' मानने वाली 'पिछड़ी सोच'

as an average 
* क्या हम इन 'कथित' पिछड़ों से अधिक स्वस्थ हैं?
* क्या हमारे शरीर इनसे अधिक बेहतर हैं?
* क्या हमारे नैतिक मूल्य इनसे अधिक उन्नत हैं?
* क्या हमारे हृदय इनसे अधिक उदार हैं?
और सबसे बड़ा प्रश्न
* क्या हमारा जीवन इन 'पिछड़ों' से अधिक सुकूनमय है?

मानता हूँ कि बदलते समय के अनुसार अनेक परिवर्तन अपनाने होंगे लेकिन भावी पीढ़ी को सुविधाओं और अपनी extra-cautious approach का इतना आदी भी न बनाएँ कि उनके अंदर संघर्ष से उत्पन्न प्रतिरोधक-शक्ति का निर्माण ही ठप हो जाए।

मुख्य प्रयास उन्हें बचाने का नहीं, उनकी जीवनी-शक्ति बढ़ाने का हो।

लेखक
प्रशांत अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
जिला बरेली (उ.प्र.)।

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