मेरे पापा
थाम के मेरी उँगली पापा
तुमने चलना सिखाया है
लड़खड़ाए कदम जो कभी पापा
तुमने ही तो सँभाला है।।
जिद की कभी कोई पापा
आपने वो पूरी कर दी है
दुनिया भर की खुशियों से
झोली मेरी भर दी है।।
दुःख की धूप नहीं आने दी मुझपे
वट वृक्ष की शीतल छाया दी है
कमी हुई कभी जो कोई पापा
वह आपने पूरी कर दी है।।
खुद को खर्च किया हम पर
अपने सारे सुखों को त्याग दिया
बच्चों की खुशियों के लिए पापा
आपने संपूर्ण जीवन समर्पित किया।।
रचनाकार
मृदुला वर्मा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अमरौधा प्रथम,
विकास खण्ड-अमरौधा,
जनपद-कानपुर देहात।

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