बाल श्रम निरोध दिवस
भीख नहीं माँगे कोई बालक जो भारतीय,
चाकरी से बाल वृन्द मुक्त कर दीजिये।
उन्नत भविष्य की हैं कड़ियाँ ये नौनिहाल,
अच्छी शिक्षा स्वास्थ्य का प्रबंध कर दीजिये।।
मेटिये कलंक अभिशाप अन्धकार आप,
कलम किताब पढने को घर दीजिये।
सोने की चिरइया बने फिर से हमारा देश,
"निरपेक्ष" साधनों के ढेर कर दीजिये।।
विकास की पहचान
साधन हैं जितने जग में,
उनमें अति उत्तम मानव मानो।
राष्ट्र सशक्त-सुखी है वही,
जिनके जन स्वस्थ सुशिक्षित जानो।।
कौशल दक्ष स्वकर्म करैं,
मति हीन न दीन समाज सयानों।
भारत में कहुँ खोय गयो,
"निरपेक्ष" विकास सही पहचानो।।
रचयिता
हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।

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