खिचड़ी पर्व

आज सुबह-सुबह गंगा स्नान करेंगे

फिर सूर्य प्रणाम करेंगे, 

ईश्वर का ध्यान कर

उनसे ज्ञान प्राप्त करेंगे। 


आज खिचड़ी खाएँगे

आज खिचड़ी दान करेंगे, 

आज का दिन है खिचड़ी के नाम

ऐसा क्या है इस खिचड़ी में। 


खिचड़ी है मूँग दाल और चावल का मिश्रण, 

पाया हरा रंग मूँग दाल ने कहती है वह, 

रहे सदा हरियाली धरती पर

इसका हम ध्यान रखेंगे। 


श्वेत रंग का है चावल,  कहता है वह

दुनिया में सुख- शांति रहे, 

तभी होगा जीवन खुशहाल

इसका हम ध्यान रखेंगे। 


इसीलिए है यह खिचड़ी पर्व

जो भावे सबके मन, 

रहे स्वास्थ्य नरम, है इसका यही संदेश

हरियाली में ही है खुशहाली का रास्ता।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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