003/2025, बाल कहानी- 20 जनवरी
बाल कहानी- मकर संक्रान्ति
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आज आकाश में सूर्य अपनी धूप बिखेर रहा था। मकर राशि पर सूर्य देव के आगमन से ही धूप में तेजी आ गई थी। माघ मास में मकर-संक्रान्ति का पर्व लोगों द्वारा हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया जा रहा था। संक्रान्ति पर्व पर मेरे स्कूल के बच्चे सुबह से ही कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे। जब मैंने उसने पूछा कि, "बच्चों! आज तुम सब लोग कहाँ जा रहे हो?" एक बच्चे ने बताया-, "सर! हम लोग अपने-अपने माता-पिता के साथ झारखण्ड जा रहे हैं। वहीं बुढ़की लगायेंगे।" मैंने उनसे पूछा कि-, "तुम्हें पता है कि झारखण्ड कहाँ है और यह स्थान क्यों प्रसिद्ध है?: अब बच्चे मौन होकर सिर हिलाने लगे। मैंने कहा कि, "यह अपने झाँसी जिले में गरौठा तहसील के अन्तर्गत आता है और अपने बम्हौरी ग्राम से मात्र तीस किमी की दूरी खड़ौरा के पास पर स्थित है। यहाँ से निकली धसान नदी की तलहटी में महर्षि विश्वामित्र जी की मूर्ति है, जो पानी के नीचे स्पष्ट दिखाई देती है। वहीं पास में बड़ा मन्दिर भी है, जहाँ सभी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ विराजमान हैं। वहाँ अखण्ड मानस का पाठ चलता रहता है और अखण्ड दीप जलता है। इस समय वहाँ विशाल मेला भी लगा होगा। तुम लोग मेले से जो-जो खरीदोगे और देखोगे, कल स्कूल में जरूर बताना।"
"ठीक है सर!" सभी बच्चों ने कहा। तभी एक बच्चे ने कहा कि-, "सर! आप कहीं नहीं जा रहै है?"
मैंने कहा-, "क्यों नहीं, मैं भी केदारेश्वर मन्दिर, जो मऊरानीपुर के पास रौनी की पहाड़ियों पर स्थित है, वहीं जा रहा हूँ। वहाँ भीमाशंकर महादेवजी स्थित हैं।"
"भीमाशंकर महादेव!" बच्चों ने आश्चर्य व्यक्त किया।
"हाँ, बच्चों! इसकी कथा मैं लौटकर स्कूल में सुनाऊँगा। अभी तुम लोग जाओ! मैं भी केदारेश्वर के दर्शन के लिए निकलता हूँ। समय से जल्दी लौट आना, क्योंकि शाम पाँच बजे के बाद सर्दी बहुत अधिक पड़ने लगती है।"
"जी, सर! नमस्ते!"
"नमस्ते बच्चों, जय शिव शंकर!" सभी बच्चे हँसते हुए 'जय शिव शंकर' कहते हुए उछलते-कूदते चले गये। इधर मैं भी खुशी-खुशी अपने गन्तव्य की ओर रवाना हुआ।
#संस्कार_सन्देश -
विभिन्न त्योहार और इनसे जुड़ी कहानियाँ हमें नये-नये सन्देश और प्रेरणा देती हैं।
कहानीकार-
#जुगल_किशोर_त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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