14/2025, बाल कहानी- 01 फरवरी


बाल कहानी- अन्ध विश्वास
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रामसिंह के दो पुत्र थे। दोनों ही जुड़वा थे। लेकिन रामसिंह अपने छोटे बेटे को ज्यादा प्यार करता था। रामसिंह की पत्नी भी छोटे बेटे को बहुत ज्यादा प्यार करती थी। बड़ा बेटा चाहे जितना अच्छा काम क्यों न करे, रामसिंह और उसकी पत्नी खुश नहीं होते थे। 
एक बार विद्यालय में सुलेख प्रतियोगिता थी तो बड़ा बेटा शिशिर को प्रथम स्थान मिला और छोटे बेटे राघव को कोई भी स्थान नहीं प्राप्त हुआ। रामसिंह और उसकी पत्नी ने शिशिर के लिए कोई भी प्रशंसा जाहिर नहीं की और राघव की बहुत प्रशंसा की। राघव किसी छोटे से काम को कर देता था तो सब लोग उसकी बहुत प्रशंसा करते थे, जबकि शिशिर के साथ ऐसा नहीं होता था। जब दोनों थोड़े बड़े हुए, तब भी ऐसा ही चलता रहा। 
एक दिन सभी लोग गाँव गये। वहाँ पर उनकी दादी रहती थीं। तब शिशिर ने दादी से पूछा, "दादी! मुझे मम्मी-पापा उतना प्यार नहीं करते हैं, जितना वो राघव को करते हैं। ऐसा क्यों है?" दादी को उसकी बात से बहुत दु:ख हुआ। तब वह बोली, "बेटा! इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है। सब किस्मत का दोष है।" शिशिर बोला, "दादी जी ! किस्मत मतलब बताइए?" दादी ने कहा कि, "जब उसका और राघव का जन्म हुआ था, तो तुम लोगों की जन्म-पत्री पन्डित जी को दिखाई गयी थी, तो उन्होंने बताया था कि राघव बड़ा होकर बहुत बड़ा आदमी बनेगा। उसके पास धन दौलत की कमी न होगी और शिशिर कुछ खास नहीं पढ़ पायेगा। वह घर के लिए अपशकुन रहेगा। बस! तभी से ये लोग तुझे कम प्यार करते हैं।" 
शिशिर को सारी बात समझ आ गई। 
जल्द ही दोनों बड़े हो गये। राघव की नौकरी विदेश में लग गयी, जबकि शिशिर की नौकरी पास के शहर में ही लगी थी। सब खुशी-खुशी रह रहे थे। 
अचानक एक दिन रामसिंह की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गयी। उसकी पत्नी ने मदद के लिए दोनों बच्चों को फोन किया। राघव ने आने के लिए मना कर दिया। जब माँ ने पैसे माँगे तो भी नहीं दिये। ऐसा नहीं था कि वो आना नहीं चाहता था, उसकी नौकरी में कोई समस्या चल रही थी, जिसकी वजह से उसे आने में परेशानी थी और वह बहुत दूर भी था । दूसरी तरफ शिशिर तुरन्त जल्दी से जितने पैसे थे, लेकर आ गया। पिता जी का अच्छे से अच्छा इलाज कराया। खूब सेवा भी की। कुछ ही समय में पिता जी एकदम स्वस्थ हो गए। तब जाकर उनकी आँखें खुलीं। रामसिंह और उसकी पत्नी दोनों को अपनी गलती का एहसास हो गया।
उन्होंने कहा कि, "हमें किसी भी गलत बात या अन्ध-विश्वास की वजह से अपने बच्चों में भेद नहीं करना चाहिए। 

#संस्कार_सन्देश -
हमें हमेशा अन्ध-विश्वास और गलत-फहमियों से स्वयं को दूर रखना चाहिए। 

कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल 
सरसौल, कानपुर नगर (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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