नव वर्ष है नवजात शिशु समान
नव वर्ष है नवजात शिशु समान
बिल्कुल निर्दोष, सुंदर सूरज सा तेज समान
स्वागत को तैयार रहते नर-नारी, बाल गोपाल,
करते घड़ी की दोनों सुइयों के मिलन का इंतजार।
आ ही जाता वो वक्त
जिसका हो रहा होता बेसब्री से इंतजार,
घड़ी की दोनों सुइयों का मिलन
मानो बजा रहा एकता का नाद है।
बड़ी सुई कहती मैं पहले चलती हूँ
तू छोटी है मेरे पीछे-पीछे धीरे-धीरे चल,
आने वाले संघर्षों से मैं निपटती
पर रुकना ना किसी पल।
दिलों में प्रेम जगाना
हाथ से हाथ मिलाकर चलना,
मिले सदा समय को प्रेम का पोषण,
यही नव वर्ष की माँग है।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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