008/2025, बाल कहानी- 25 जनवरी
बाल कहानी- बुरी आदत
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प्रेम और राज दोनों अच्छे मित्र थे। दोनों में गहरी मित्रता थी। एक बार दोनों ने विचार किया कि आज छुट्टी का दिन है, क्यों न आज पास के गाँव में क्रिकेट खेलने चला जाए। दोनों ने हामी भरी और चल दिए। रास्ते में प्रेम को प्यास लगी। सड़क किनारे बोरिंग लगी थी। प्रेम ने पानी पिया और टोंटी खुली छोड़ दी। राज ने समझाया-, "दोस्त! ये क्या? पानी पीने के बाद टोंटी खुली छोड़ दी! पानी फिजूल बह रहा है। पानी की बर्बादी अच्छी बात नहीं है। हमें पानी बचाना चाहिए न कि बर्बाद करना चाहिए। क्या तुम्हें पता नहीं, जल ही जीवन है।" इतना कहने के बाद राज ने टोंटी बन्द कर दी ।
इस पर राज को गुस्सा आ गया। उसने कहा-, "जरा सा टोटी बन्द करने पर तुमने इतना मुझे सुनाया। अब मैं तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाऊँगा। मेरी तुम्हारी दोस्ती खत्म।"
"राज! तुम गलत समझ रहे हो। मैंने तुम्हें सुनाया नहीं बल्कि समझाया है कि पानी की बर्बादी अच्छी बात नहीं है। अगर तुम्हें नहीं बोलना है तो मत बोलो। मैं अपने घर जा रहा हूँ। तुम मेरे दोस्त हो, इसलिए समझाया।"
इतना कहकर राज चला गया। प्रेम भी गुस्सा में घर आ गया। घर आते ही माँ ने राज को भोजन देते हुए कहा-, "बेटा! आज तुम्हारी पसन्द का भोजन बनाया है। हाथ धुलकर भोजन कर लो।"
राज ने जंग में रखा पानी उठाया। हाथ धुलकर सारा पानी फेंक दिया। राज को माँ ने डाँटते हुए कहा-, "बेटा! ये क्या हरक़त है, पानी क्यों फेंक दिया? हाथ घुलने के बाद जग में पानी बचा था, वो क्यों फेक दिया? पानी की बर्बादी करते हो, ये तुम्हारी अच्छी आदत नहीं है।"
राज को गुस्सा आया। वह बिना खाना खाये घर के बाहर जा पहुँचा और रोने लगा। तभी राज के पिता आये और रोने की वजह पूछी! राज ने सारी बात बतायी, फिर पिताजी ने राज के आँसू पोंछे। पानी की उपयोगिता, जहाँ पानी के लिए लोग तरस रहे, उनके बारे में, सूखाग्रस्त क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए कई किस्से सुनाये और कहा कि-, "पानी बर्बाद करने और नल खुला छोड़ने की ये तुम्हारी सबसे बुरी आदत है। इसे तुम्हें छोड़ना होगा।" यह सब सुनकर और जानकर राज को अपनी गलती का एहसास हुआ। राज ने माँ और अपने मित्र प्रेम से माफी माँगी और मन ही मन संकल्प लिया कि अब पानी का सदुपयोग करना है। कभी पानी बर्बाद नहीं करना है।
#संस्कार_सन्देश -
हमे सदैव अच्छी आदतें अपनानी चाहिए।
कहानीकार -
#शमा_परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
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