चला साल चौबीस

चला जाता है साल ये चौबीस खट्टी-मीठी यादें बनाते  हुए।

किसी के हाथों में हाथ लेकर प्यार के बंधन बनाते हुए।।


हमारा ये वतन सबसे निकल आया कितना आगे आज देखो।

एक दिन ये बनेगा ही सारे ज़माने का  बेखौफ सरताज देखो।


सारे देशों की नजर में अपना स्थान ऊँचा बनाते हुए।

चला जाता है साल ये चौबीस खट्टी-मीठी यादें बनाते हुए।


चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बना आश्रय तिरंगे का आज देखो।

अपने वतन का रोम रोम पुलकित हुआ अब राम का राज देखो।


राम की महिमा अनुभव करो तुम भगवा रंगोली बनाते हुए।।

चला जाता है साल ये चौबीस खट्टी-मीठी यादें बनाते हुए।


कभी क्रिकेट, कभी शतरंज, कभी हॉकी,

जीतेंगे हम ही जगत को। 

विश्व सारा हुआ तत्पर बिछाकर पुष्प,

अपने वतन के स्वागत को।


2025 आया है उसकी, राहों में दीपक जलाते हुए।

चला जाता है साल ये चौबीस खट्टी मीठी यादें बनाते हुए।


रचयिता

पूनम गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धनीपुर,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।



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