11/2025, बाल कहानी- 29 जनवरी
बाल कहानी - नन्हे हाथों में जिम्मेदारियाँ
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गोरा रंग, गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखों में काजल लगाए, माथे पर छोटी सी काली बिन्दी, बालों की एक चोटी जो कन्धे तक आ रही थी। छः साल की सलोनी अपने छोटे भाई को अपनी कमर पर बैठाऐ हुए, जिसके कारण उसका शरीर झुका जा रहा था। फिर भी भाई को बड़े प्यार से, दुलार से,अपनी कमर पर बैठाए हुए, सलोनी गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में पहुँच जाती, जहाँ वह कक्षा एक में पढ़ती थी।
स्कूल के शिक्षक जब उससे कहते कि-, "भाई को घर पर ही छोड़कर आया करो।"
तब सलोनी कहती-, "मम्मी-पापा काम करने शहर गये हैं। घर में कोई नहीं है। अगर भैया घर में हैं, तो हम भी घर में हैं।"
उसका यह जवाब सुनकर शिक्षक उसके भाई को भी कक्षा में बैठने देने को राजी हो गये, जिसके कारण सलोनी की शिक्षा प्रभावित न हो। सलोनी कक्षा में अपने भाई का ध्यान रखती और पढ़ाई भी पूरे मन लगाकर करती।
विद्यालय में भोजनावकाश में खाना खाने के बाद जब सब बच्चे खेलते, तब वह अपने छोटे भाई को अपनी गोद में खिलाती। कभी-कभी सलोनी का भाई जब कक्षा में सो जाता, तब वह अपने बस्ते का तकिया बना कर उसे लगा देती। सलोनी छः वर्ष की उम्र में ही एक माँ की तरह अपने भाई की भी जिम्मेदारी उठा रही थी।
#संस्कार_सन्देश-
जिम्मेदारियाँ बच्चों को उम्र से पहले ही बड़ा बना देती हैं।
कहानीकार-
#रचना_तिवारी (इं०प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा, पुनावली- कलां, ब्लाक- बबीना
झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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